Arvindasava
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अरविन्दासव
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :-
- अरविन्दासव बच्चों के सब रोगों को दूर करता, बल और अग्नि को बढ़ाता एवं शरीर को पुष्ठ करता है।
- यह आयु बढ़ाने वाला तथा बालग्रहों को दूर करने वाला है।
- अरविन्दासव बच्चों को कमल की तरह अच्छा, कान्तिमान और प्रसन्न बना देता है।
- बच्चों के सब रोगों में इसका उपयोग किया जाता है, विशेषकर यह सूखा रोग (बालशोष) में बहुत फायदा करता है। यह रोग माता के दूध की खराबी के कारण होता है। इसमें पहले कफ की वृद्धि, ज्वर, खाँसी, पतले दस्त होना आदि उपद्रव होने के बाद बच्चा धीरे-धीरे सूखने लगता हैं। इसके चूतड़ की खाल लटक जाती है, शरीर की हड्डी उभर आती है और कान्ति नष्ट हो जाती है। हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि बच्चा खड़ा नहीं हो सकता, चल-फिर भी नहीं सकता, बार-बार रोता ही रहता है तथा स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। यह अवस्था नाजुक बच्चों के लिये बहुत कष्टकर होती है। ऐसी हालत में अरविन्दासव के उपयोग से अच्छा लाभ होता है, किन्तु इसके साथ-साथ प्रवाल (चन्द्रपुटी) भस्म और स्वर्ण मालती बसन्त का मिश्रण देते रहना उत्तम है, क्योंकि यह हड्डी को कड़ा कर देता है और हृदय को ताकत पहुँचाता है।
- इससे रक्त की वृद्धि जल्दी .हो जाती है, जिससे शरीर कान्तिमान हो जाता है, साथ ही उपरोक्त उपद्रव भी क्रमशः शान्त हो जाते हैं। |
- पित्त की विकृति और मूत्र में जलन, बूँद-बूँद पेशाब होना, पेशाब करते समय दर्द, जलन आदि उपद्रव होना, स्त्रियों के प्रदर रोग, श्वेत प्रदर आदि रोगों में भी इसका उपयोग किया जाता है।
- वक्तव्य : इस योग में ग्रन्थ के मूल पाठानुसार चीनी 5 सेर और शहद 2 सेर है, किन्तु इतना ही डालकर बनाने में सब खड्डा बनता है। अतः चीनी 70 सेर और शहद 5 सेर किया गया है। इससे यह उत्तम बनता है। कुछ लोग “काश्मर्य” शब्द का अर्थ केशर भी करते हैं, किन्तु यथार्थं अर्थ गम्भारीफल ही होता है।
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan) :- – छोटे बच्चों को 2 से 4 माशे तक और बड़ों को 1 से 2 तोला तक बराबर जल के साथ देना चाहिए।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – कमल के फूल, खस, गम्भारी फल, नील कमल, मंजीठ, इलायची, खरेंटी, जटामांसी, मोथा, अनन्तमूल, हरे, बहेड़ा, बच, आँवला, कचूर, कालीनिशोथ, नीली-मूल, परवल के पतते, पित्तपापड़ा, अर्जुन की छाल, मुलेठी, महुए के फूल, मुरामांसी–प्रत्येक को 4-4 तोला लेकर मोटा चूर्ण बना लें और मुनक्का । सेर तथा धाय के फूल 34 तोला लें।
सन्धान
चिकने मिट्टी के पात्र में 25 सेर 8 तोला जल डाल कर उसमें 10 सेर उत्तम चीनी और शहद (अभाव में पुरना गुड़ 5 सेर डाल कर घोल दें। सन्धान-क्रिया चालू होने के पश्चात् उपरोक्त चूर्ण, मुनक्का, धायफूल मिला दें। फिर १ मास तक (तैयार होने तक) रखा रहने दें। पश्चात् छानकर स्वच्छ काठ की टंकी, इमरतबान या बोतलों में भरकर डाट (ढक्कन) लगाकर रख दें। भै. र. से किंचित् परिवर्तित
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