Saptamrit Loh

सप्तामृत लौह
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :-
- यह सब प्रकार के नेत्र-रोगों की खास दवा है।
- इसके सेवन स दृष्टि-शक्ति की कमी, आँखों की लाली, आंखों में खाज होना, आँखों के आगे अन्धेरा होना आदि विकार और नेत्र रोग अच्छे हो जाते हैं।
- इससे दस्त साफ -आता एंव, अग्नि (जठराग्नि) प्रदीप्त होती हैं और लौह का प्रधान मिश्रण होने के कारण यह औषध रक्त को भी बढ़ाती है।
- इसको महात्रिफला घृत अथवा मधु में पिलाकर नियमित रूप से साल भर सेवन करने से नेत्रों जी ज्योति बहुत अच्छी बढ़ जाती है, चश्मा लगाने की आवश्यकता भी मिट जाती है।
- कई रोगियों की, जिनकी नेत्रदृष्टि कमजोर होने से चश्मा लगाना पड़ता था, इसके सेवन से नेत्रों की ज्योति बढ़कर चश्मा हटा देने के कई उदाहरण हमने भी देखे हैं।
- यह प्रयोग केवल नेत्र-रोगों को ही नष्ट नहीं करता,ब्लकि नाक, कान गले से उपर उत्पन्न होने वाले रोगो में भी लाभप्रद है।
- यह अकाल (असमय) मे बाल सफेद होने को रोकता तथा पुरानी मन्दाग्नि को भी दूर कर जठराग्नि को प्रदीप्त करता है।
- इसके सेवन से शरीर में काम शक्ति की वृद्धि होती है, मुख की कान्ति अच्छी हो जाती तथा बाल अत्यन्त काले हो जाते हैं।
- यह रसायन वृष्य भी है
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan) :- 4-8 रत्ती संध्या के समय अथवा सुबह-शाम १ माशा घी और 3 माशे शहद में मिला कर चाटें और ऊपर से गौ या बकरी का दूध पी लें।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – हरें, बहेड़,आवला, मुलैठी–इनका कपड़छन किया हुआ चूर्ण तथा लौहभस्म सबको 1- 1 भाग लेकर एकत्र मिला, खरल कर सुरक्षित रख लें। —भै. र.