Ashawgandharist

अश्वगन्धारिष्ट
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :-
- इसके सेवन से मूर्च्छा, स्त्रियों का हिस्टीरिया रोग, दिल की धड़कन, हौलदिल (बेचैनी), चित्त की घबड़ाहट, चित्तश्रम, याददाश्त की कमी, बहुमूत्र, मन्दाग्नि, बवासीर, कब्जियत, सिर-दर्द, काम में चित्त न लगना, स्नायु-दौर्बल्य, हर प्रकार की कमजोरी, बुढ़ापे की शिथिलता. आदि रोग नष्ट होकर बल, वीर्य, कान्ति एवं शक्ति की वृद्धि होती है।
- प्रसूता स्त्रियों की कमजोरी इससे बहुत शीघ्र दूर हो जाती है।
- दिमाग की विकृति या कमजोरी दूर करने के लिये अभ्रकभस्म प्रातः-सायं मधु के साथ और भोजन के बाद यह दवा लेने से विशेष लाभ होता है।
- दिमागी मेहनत् करने वालों को यह आसव हमेशा लेना चाहिए।
- यह मानसिक थकावट को दूर करता और स्नायुओं में एक तरह की नवीन स्फूर्ति पैदा कर दिमाग को तरोताजा बना देता है! अतएव, थकावट नहीं मालूम होती है।
- दिमाग को पुष्ट करने की यह एक ही दवा है।
- वक्तव्य: इस योग में क्वाथ द्रव्यों की अधिकता के कारण द्रव द्वैगुण्य परिभाषा के अनुसार जल का परिमाण द्विगुण कर दिया है, यद्यपि मधु भी द्रव पदार्थ है, पुरेन्तु इसका परिमाण पहले ही ठीक होने से द्विगुण नहीं किया गया है।
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan) :- १ तोला से 2 तोला बराबर जल मिला कर दोनों समय दें।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – क्वाथ द्रव्य : असगंध 2 सेर, मुसली 80 तोला, मंजीठ, हरे छाल, हल्दी, दारु हल्दी, मुलेठी, रास्ना, बिदारी कन्द, अर्जुन छाल, नागरमोथा, निशोथ 40-40 तोला प्रत्येक, काली और सफेद दोनों सारिवा (अनन्तमूल. और श्यामलता), सफेद और लाल चन्दन, बच, चित्रकमूल–प्रत्येक 32-32 तोला लेकर सबको मोटा चूर्ण कर लें। क्वांथ : इन सबको 5 मन 4 सेर 12 छटाँक 4 तोला पानी में डाल कर पकावें। अष्टमांश (25 सेर 9 छटाँक 3 तोला) पानी शेष रहने पर छान लें। प्रक्षेप द्रव्य इसमें असली शहद (अभाव में पुराना गुड़) 5 सेर, धाय के फूल 64 तोला, सोंठ, मिर्च, पीपल मिलाकर 8 तोला, दालचीनी, बड़ी इलायची, तेजपात मिलाकर 16 तोला, फूलप्रियंगु 46 तोला और नागकेशर 8 तोला मिलाकर इनका चूर्ण कर, डाल दें। संधान इन सब को चिकने पात्र में डाल कर सन्धान करके । मास तक रखा रहने दें। बाद में छान कर काठ की टंकी, इमरतबान या बोतलों में भरकर डाट (ढक्कन) लगाकर रख दें।