Jatiphaladi Vati(Sangrahni)
जातिफलादि बटी ( संग्रहणी ):
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि :
जायफल, शुद्ध टकण, अभ्रक भस्म, शुद्ध धतूर-बीज–्रत्येक द्रव्य – भाग, शुद्ध अफीम 2 भाग लेकर प्रथम काषौषधियों का कपड़छन चूर्ण करें। पश्चात् अन्य द्रव्य मिला, गन्धप्रसारणी पत्र-स्वरस या क्वाथ मर्दन कर, -7 रत्ती की गोलियाँ बना, सुखा कर रख लें।
भै. र. दूसरा जायफल, खजूर (छुहारा) और अफीम समान भाग लेकर पान के रस में घोंटकर 7-7 रत्ती की गोलियाँ बना, सुखा कर रख लें। —बृ. नि. र.
मात्रा और अनुपान:
१-१ गोली सुबह-शाम मड्डा (छाछ) के साथ दें।
गुण और उपयोग:
- कफ-वात प्रधान संग्रहणी, अतिसार आदि में इसका उपयोग किया जाता है।
- दस्तों के साथ आँव आता हो, अथवा दस्त आने के समय पेट में दर्द होता हो, पेट में मरोड़ उठती हो, – दस्त पतला और ज्यादा परिमाण में होता हो तथा कभी-कभी रक्त भी आने उ हो, साथ ही पेट में भारीपन तथा अपचन आदि हो तो ऐसी दशा में इस रसायन कां सेवन” करना बहुत लाभदायक है।