Dhatri Loh

धात्री लौह
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :-
- यह परिणामशूल (खाने के बाद पेट में दर्द होना), पंक्तिशूल (भोजन पचने के समय पेट में दर्द होना), अजीर्ण, अम्लपित्त, कब्ज, गले में जलन, खट्टी डकारे आना आदि पैत्तिक रोगों में बहुत शीघ्र लाभ करता है।
- इसके सेवन सें पाचनविकार अच्छा होता तथा नेत्रों की ज्योति बढ़ती है, सफेद बालों को काला करता है।
- असमय बाल झडने से रोकता है।
- बालकों के लिए भी यह बहुत हितकर है।
- वातपित्त-जन्य विकारों तथा कफ-पित्त-जन्य विकारों में भी यह बहुत श्रेष्ठ लाभदायक है।
- इससे कुछ समय लगातार सेवन करने से शारीरिक धातुओं की अभिवृद्धि होकर जीवनीय शक्ति में अच्छी वृद्धि होती है।
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan) :- 3-6 रत्ती मोजन के पहले और अन्त में घी या शहद के साथ सेवन करना चाहिए।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – आँवले का चूर्ण 32 तोला, लौह भस्म 15 तोला, मुलेठी चूर्ण 8 तोला लेकर सबको खरल करके गिलोय-स्वरस की भावना देकर तेज धूप में सुखा (या 3-6 रत्ती की गोलियाँ बना) कर रख लें।