Karshyehar Loh
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कार्श्यहर लौह
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :-
- यह बल-वीर्यवर्धक, अग्नि-दीपक, वृष्य और रसायन है।
- इसके सेवन से शरीर में स्फूर्ति व रक्त पैदा होता है तथा दुर्बलता, कमजोरी और रक्त की कमी दूर हो शरीर पुष्ट और बलवान हो जाता है।
- रस-रक्तादि धातुओं के क्षय हो जाने के कारण जो दुर्बल हो गये हों ऐसे मनुष्यों के लिए लौह बहुत शीघ्र लाभदायक है।
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan) :- 3-4 रत्ती सुबह-शाम भाँगरे के रस के साथ अथवा शहद से दें।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – वंशलोचन, सफेद पुनर्नवा, दन्ती, असगन्ध, त्रिफला, त्रिकटु, वायविडंग, चीता, नागरमोथा, शतावर और खरेंटी–प्रत्येक समान भाग लेकर कूट-कपड़छन कर महीन चूर्ण बना लें और समान भाग लौह भस्म लेकर खरल करके रख लें। र. सा. सं.
वक्तव्य ग्रन्थ के मूलपाठ मे श्वेता-पुनर्नवा’ शब्द है, इससे कई लोग श्वेता शब्द से वंशलोचन और कई लोग श्वेत अपराजिता लेते हैं। कुछ लोग श्वेता-पुनर्नवा, एक ही शब्द मानकर सिर्फ पुनर्नवा ही लेते हैं। हमारी समझ में श्वेता शब्द से वंशलोचन और पुनर्नवा से सफेद पुनर्नवा लेना ठीक है।
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