Karpurasava

कर्पूरासव
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :-
- ये तीनों हैजा, अजीर्ण, बदहजमी, पेट के दर्द, जी मिचलाना आदि के लिये अक्सीर दवा है।
- कई बार का अनुभूत है।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – उत्तम देशी मद्य 5 सेर, उत्तम कर्पूर 32 तोला और छोटी इलायची के बीज, नागरमोथा, सोंठ, अजवायन, काली मिर्च–प्रत्येक 4-4 तोला लेकर चूर्ण बनाकर, एक बर्तन में डाल दें और मुख बन्द कर १ मास तक छोड़ दें। बाद में छानकर रख लें। – भै. र.
मात्रा और अनुपान
5 से 20 बूँद पानी में मिलाकर दें।
दूसरी विधि (अर्क कर्पूर)–असली रेक्टीफाइड स्पिरिट 6 औंस में 4 औंस कपूर डाल दें। यदि इसमें एक औंस फूल पिपरमेन्ट भी डाल दें तो अच्छा होगा। कुछ समय में ही अर्क कर्पूर तैयार हो जायेगा।
मात्रा : 5 से 20 बूँद तक दें।
तीसरी विधि : (वैद्यनाथ धारा)-कपूर, फूलपिपरमेन्ट, सत अजवायन–ये चीजें समभाग लेकर शीशी में डाल, मुँह बन्द कर दें। थोड़ी देर में अर्क तैयार हो जायेगा।
मात्रा और अनुपान : 5 से 0 बूँद, चीनी या बताशे में दें।
नोट : अर्क कपूर बनाने का विधान उपरोक्त ही है और प्रायः सब उच्चस्तर के निर्माता इसी तरह बनाते भी हैं। परन्तु बाजार में सस्ता बिकने वाले अर्क कपूर में धूर्त व्यापारी पानी मिला देते हैं। अतः जितना लाभ होना चाहिए, उतना नहीं हो पाता। इसकी पहचान यही है कि अर्क कपूर में दियासलाई लगाने पर तुरन्त जलने लगता है, नकली जलता नहीं है।