Satavariadi Churan

शतावर्यादि चूर्ण
गुण और उपयोग (Uses and Benifits )—
- यह चूर्ण पौष्टिक, श्रेष्ठ बाजीकरण और उत्तम वीर्यवर्द्धक है।
- इस चुर्ण के सेवन से रस-रक्तादि सप्त धातुओं की क्रमशः वृद्धि हो जाती है।
- इसके सेवन काल में ब्रह्मचय स रहने से शरीर में बल और पौरुष शक्ति की वर्धि होती है ओर निर्दोष वीर्य का निर्माण होता है।
- समस्त प्रकार के वीर्य सम्बन्धी विकार जैसे-वीर्य का पतलापन, शीघ्रपतन, शुक्रवांहनी नाड़ियों की शिथिलता आदि नष्ट होते हैं।
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan) —३-६ ग्राम तक, रात को सोने से एक घंटा पूर्व व प्रात:काल शरकरा मिश्रित गो-दुग्ध के साथ दें।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation); शतावर, असगन्ध, कौंच के बीज (छिलका रहित), सफेद मूसली, गोखरू के बीज–प्रत्येक १-१ भाग लेकर इनको एकत्र मिला, चूर्ण करके सुरक्षित रख लें। यो. र.