Raktpitantak Loh

रक्तपित्तान्तक लौह
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :-
- इसके सेवन से रक्तपित्त और अम्लपित्त दोनों ही रोग नष्ट होते हैं।
- रक्तपित्त के लिए यह बहुत प्रसिद्ध दवा है। रक्तपित्त में–रक्त ज्यादा निकल जाने के कारण शरीर का रङ्ग पीला हो जाता है, हृदय कमजोर एवं नाड़ी की गति क्षीण, मन्दाग्नि, प्यास ज्यादा लगना, शरीर एकदम कमजोर हो जाना, ज्वर भी बना रहना–ऐसी दशा में रक्तपित्तान्तक लौह के उपयोग से ‘प्रकुपित पित्त शान्त हो रक्तस्राव बन्द हो जाता है, क्योंकि यह दवा पित्तशामक, रक्त-प्रसारक तथा शक्ति-वर्द्धक है।
- अम्लपित्त में अम्लता बहुत बढ़ जाती है, जिसके कारण खट्टी डकारें आना एवं वमन में खट्टा पित्त मिश्रित पदार्थ निकलता है, हृदय में जलन एवं विदग्धता रहती है। ऐसी स्थिति में इस दवा के प्रयोग से बड़ा अच्छा उपकार होता है।
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan) :- 3-6 रत्ती सुबह-शाम दूर्वारस और मिश्री के साथ दें। अम्लपित्त में अनार-बेदाना पीसकर मिश्री के साथ दें।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – आँवला और पीपल का कपड़छन किया हुआ चूर्ण 1- 1भाग तथा लौहभस्म सब दवा के बराबर लेकर एकत्र मिला, घोंटकर रखें। भै. र्.