Saptamrit Loh

Saptamrit Loh

सप्तामृत लौह गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- यह सब प्रकार के नेत्र-रोगों की खास दवा है। इसके सेवन स दृष्टि-शक्ति की कमी, आँखों की लाली, आंखों में खाज होना, आँखों के आगे अन्धेरा होना आदि विकार और नेत्र रोग अच्छे हो जाते हैं। इससे दस्त साफ -आता एंव, अग्नि (जठराग्नि) प्रदीप्त होती हैं…

Shothodarari Loh

Shothodarari Loh

शोथोदरारि लौह गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- कभी-कभी पेट में पुराने संचित मल के कारण आंतें शिथिल हो, अपना कार्य करने में असमर्थ हो जाती हैं। फिर पेट में वायु भर जाता तथा आंतें भी सूज जातीं और साथ-साथ पेट की नसें भी फूल. जाती हैं तथा यकृत्‌-प्लीहा भी बढ़ जाते हैं। रक्त…

Shothari Loh

Shothari Loh

शोथारि लौह गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- पाण्डु रोग युक्त-शोथ–पुराने पाण्डु-रोग में रस-रक्तादि धातु कमजोर होकर अपनी क्रिया करने में असमर्थ हो जाती है, तब शरीर में रक्‍ताणुओं का ह्रास और जल भाग की वृद्धि होती है। रक्तवाही शिराओं में जल प्रवेश कर जाता है, जिससे शिराएँ फूल जाती हैं। शिराओं के फूलने…

Shankar Loh

Shankar Loh

शंकर लौह गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- यह रसायन वात-पित्त, कुष्ठ, विषमज्वर, गुल्म, नेत्ररोग, पाण्डु रोग, अधिक निद्रा, आलस्य, अरुचि, शूल, परिणामशूल, प्रमेह, अपबाध्य, शोथ, विशेषतया रक्तस्राव, अर्श और वलीपलित रोगों के लिए अत्युत्तम हैं। यह बल, कान्ति तथा वीर्य-वर्द्धक है और शरीर को स्वस्थ एवं पुष्ट करके पुत्रोत्पादक शक्ति प्रदान करता है। रक्तार्श…

Rohitak Loh

Rohitak Loh

रोहितक लौह गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- यकृत्‌ और प्लीहा की वृद्धि, शोथ, पाण्डु रोग और पुराने विषमज्वर में लाभदायक है। यकृत्‌ और प्लीहा की वृद्धि होने पर मन्दाग्नि, भूख न लगना, जाड़ा देकर बुखार आना, ‘रस-रक्तादि धातुओं की कमी के कारण शरीर दुर्बल और कान्तिहीन हो जाना, कभी-कभी शोथ और पाण्डु रोग…

Raktpitantak Loh

Raktpitantak Loh

रक्तपित्तान्तक लौह गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- इसके सेवन से रक्तपित्त और अम्लपित्त दोनों ही रोग नष्ट होते हैं। रक्तपित्त के लिए यह बहुत प्रसिद्ध दवा है। रक्तपित्त में–रक्त ज्यादा निकल जाने के कारण शरीर का रङ्ग पीला हो जाता है, हृदय कमजोर एवं नाड़ी की गति क्षीण, मन्दाग्नि, प्यास ज्यादा लगना, शरीर एकदम…

Yograj Loh

Yograj Loh

योगराज लौह गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- कुष्ठ रोग में इसका उपयोग किया जाता है। कुष्ठ रोग होने पर रक्‍त और मांस में विकृति आ जाती है, त्वचा भी दूषित हो जाती है, पाचक और रंजक पित्त की विकृति से परिशुद्ध रक्त न बनकर दूषित रक्त बनने लग जाता है, जिससे शरीर में…

Yakshmari Loh

Yakshmari Loh

यक्ष्मारि लौह गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- यक्ष्मा से उत्पन्न खाँसी, ज्वर, कफ-विकार आदि नष्ट होते हैं। उपरोक्त दोनों दवा राजयक्ष्मा में–जब रोग पुराना हो गया हो, ज्वर और खाँसी का वेग बढ़ रहा हो, हृदय कमजोर, शरीर दुर्बल हो गया हो, नाड़ी की गति क्षीण, रक्त की कमी से शरीर का रंग…

Yakshmantak Loh

Yakshmantak Loh

यक्ष्मान्तक लौह गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- इसके सेवन से राजयक्ष्मा, पाण्डु, स्वरभंग, खाँसी और क्षतक्षय भी नष्ट हो जाते हैं। इससे बल-वर्ण, अग्नि तथा शरीर की पुष्टि होती है। मात्रा और अनुपान  (Dose and Anupan)  :-  2-4 रत्ती सुबह-शाम धारोष्ण बकरी के दूध या वासा (अडूसा) स्वरस, और मधु के साथ दें।…

Yakritari Loh

Yakritari Loh

यकृदरि लौह गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- यकृत्‌ रोग नाश करने की यह प्रसिद्ध दवा है। यकृत्‌ में किसी तरह की बीमारी होने से पाचक रस उचित मात्रा में नहीं बन पाता, अतः अन्नादि का पाचन ठीक से नहीं होता है,जिसके कारण रस-रक्त-वीर्यं आदि शरीर को पुष्ट करने वाले सातों धातुओं की उचित…

Medohar Vidangadi Loh

Medohar Vidangadi Loh

मेदोहर विडंगादि लौह गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- इस लौह का प्रयोग करने से समस्त प्रकार के मेदरोग नष्ट होते हैं। इसके अतिरिक्त सब प्रकार के प्रमेह रोगों को नष्ट करता है और उत्तम बल्य तथा कान्ति, आयु और बल की वृद्धि करता है। जठराग्नि को प्रदीप्त करता है एवं उत्तम बाजीकरण हैं।…

Yakritplihari Loh

Yakritplihari Loh

यकृत्‌-प्लीहारि लौह गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- इसके सेवन से पुराने यकृत्‌-प्लीहा के रोग, उदर रोग, पेट फूलना, ज्वर, पाण्डु, कामला, शोथ हलीमक, अग्निमान्द्य और अरुचि का नाश होता है। यकृत्‌ रोग में इसका विशेष रूप से उपयोग किया जाता है। शरीर में यकृत्‌-जैसा दूसरा उपयोगी यंत्र नहीं है। यकृत्‌-रोग शुरू होते ही…