Nimbadi Churan
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निम्बादि चूर्ण
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि : नीम की छाल, गुर्च (गिलोय), हर्रे, ऑवला और सोमराजी-प्रत्येक ४-४ तोला, सोंठ, वायविडंग, पवाड (चक्रमर्द-चकवड़) पीपल, अजवायन, बच, जीरा, कुटकी, खैरसार, सेन्धा नमक, यवक्षार, हल्दी, दारुहल्दी, नागरमोथा, देवदारु और कठ-प्रत्येक १-१ तोला लेकर कूट-पीस कपड़छन चूर्ण बना सुरक्षित रख लें।—-भै. र.
मात्रा और अनुपान–१ माशा से ४ माशा तक सुबह-शाम गिलोय के क्वाथ के साथ अथवा ठण्डे जल से दें।
गुण और उपयोग–
- इस चूर्ण के सेवन से भयंकर वातरक्त, सफेद कोढ़, कष्ठ, खुजली, चर्मरोग, दाद, शरीर पर लाल चट्टे पड़ जाना, आमवात-जन्य शोथ, उदर रोग, पाण्डु, कामला, गुल्म और फोड़ा-फुंसी आदि रक्त विकार नष्ट होते हैं।
- यह चूर्ण वात और रक्त शो धक तथा कब्जियत को दूर करने वाला है।
- रक्तविकार में इसका उपयोग अधिक किया जाता है।
- प्रकुपित वायु रक्त को दूषित कर शरीर में अनेक तरह के रोग उत्पन्न कर देती है। इसमें शरीर रूक्ष हो जाता, त्वचा फटने लगती, शरीर में लाल-लाल चकत्ते भी उठ आते, छोटी-बड़ी फुन्सियाँ भी निकल आती हैं। ऐसी हालत में इस चूर्ण के उपयोग से बहुत लाभ होता है।
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