Musali Pak

मूसलीपाक
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :-
- यह पाक अत्यन्त पौष्टिक, बल-वीर्य तथा कामशक्ति-वर्द्धक और नपुंसकता-नाशक है।
- इसके सेवन से धातु-दौर्बल्य नष्ट होकर शरीर स्वस्थ, कान्तियुक्त एवं बलिष्ठ हो जाता है।
- स्त्रियों के प्रदर रोग तथा पुरुषों के वीर्य दोष को नष्ट करने में यह अत्युत्तम है।
- यह बात निश्चित है कि पौष्टिक चीजें गरिष्ठ (देर में पचने वाली) होती हैं।
- इस अवलेह में पौष्टिक दवाओं की संख्या अधिक है। अतः इसके सेवनकाल में यदि बद्धकोष्ठता हो जाय, तो बद्धकोष्ठ दूर करने के लिये इसबगोल, मुनक्का, त्रिफला चूर्ण आदि उदरशोधक दवाओं का भी सेवन करते रहें।
- इससे बद्धकोष्ठता न होकर जठराग्नि प्रबल रहेगी और रस-रकतादि धातु भी अच्छे और पुष्ट बनते रहेंगे।
- शीतकाल में इस पाक का सेवन विशेषकर धातुक्षीणता आदि कारणों से उत्पन्न शारीरिक कमजोरी दूर कर, शरीर सबल और पुष्ट हो, इस निमित्त किया जाता है।
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan) :- 6 माशे से तोला, दूध या जल के साथ दें।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – सफेद मूसली 32 तोला घी 32 तोला, सोंठ, पीपल, मरिच, इलायची बड़ी, दालचीनी, तेजपत्र, शतावर, चित्रकमूल, गोखरू, असगन्ध, हरड़, लवंग, जायफल, जावित्री, तालमखाना, खरेटी के बीज, कौंच का बीज, सेमलगोंद, कमलगट्टा, वंशलोचन, अकरकरा-प्रत्येक 1- 1 तोला, मकरध्वज 1 तोला, बंग भस्म 2 तोला लेकर काष्ठौषधियों का महीन चूर्ण कर लें। पहले मूसली चूर्ण को घी में भून लें। पश्चात् सफेद चीनी 2 सेर की चाशनी बनाकर | उसमें उपरोक्त घी में भूना मूसली चूर्ण तथा सब दवाओं का चूर्ण डालकर पाक बना लें। मकरध्वज और बंग भस्म को खरल में अच्छी तरह घुटाई कराकर काष्ठौषधियों के चूर्ण में मिला देना चाहिए, ताकि पाक में अच्छी तरह मिल जाये।