Madananand Modak

मदनानन्द मोदक
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :-
- इससे बल-वीर्य की वृद्धि, रति-शक्ति की वृद्धि और स्तम्भन शक्ति प्राप्त होती है।
- यह संग्रहणी और मन्दाग्नि की उत्तम दवा है।
- सत्री-सम्भोग के लिये सायंकाल इसका सेवन दूध के साथ करना चाहिए।
- आयुर्वेद के आचार्यो का मत है कि लगातार तीन सप्ताह तक इसका सेवन करने से मनुष्य कामान्ध हो जाता है, और इसके सेवन करनेवाले का स्वरूप कामदेव के समान सुन्दर, स्वर कोयल के समान मधुर तथा गरुड़ के समान दीर्घ दृष्टि होती है।
- वृद्ध पुरुष भी इसके सेवन से युवा के समान समार्थ्ययुक्त होता है।
- अपस्मार, ज्वर, उन्माद, क्षय, वातव्याधि, कासश्वास; शोथ भगन्दर, अर्श, गहणी, बहुमूत्र, प्रमेह, शिरोरोग, अरुचि तथा वातिक-पैत्तिक और कफज रोग नष्ट होते हैं।
- जो स्त्री बन्ध्या, मृतवत्सा (जिसके बच्चे पैदा होकर मर जाते हैं) अथवा नष्ट पुष्पा (नष्टार्तवा) हो, उसे भी इसके सेवन से उक्त दोष नष्ट हो, गर्भाशय का शोधन होकर अच्छी तन्दुरुस्त संतान पैदा होती है।
- सूतिका रोग भी इसके सेवन से नष्ट होते हैं।
- ठंडक के मौसम में ही विशेषतया इस मोदक का सेवन किया जाता है।
- इसमें भांग की मात्रा विशेष होने से यह नशा भी करता है। अतः इसका सेवन चिकित्सकों की सलाह से थोड़ी ही मात्रा में करें।
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan) :- 3 से 6 माशा, दूध या पायस अथवा जल के साथ दें। पश्चात् डेढ माशा काले तिल का चूर्ण खिलायें।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – शुद्ध पारा, शुद्र गन्धक, लौहभस्म–प्रत्येक ।-। तोला, अभ्रक भस्म 3 तोला, कपूर, सेंधानमक, जटामांसी, आँवला, इलायची, सोंठ, मिर्च, पीपल, जायफल, जावित्री, तेजपत्र, लौंग, जीरा दोनों, मुलेठी, बच, कूठ, हल्दी, देवदारु, हिज्जलबीज, सुहागा, भारंगी, सोंठ, नागकेशर, काकड़ासिंगी, तालीसपत्र, मुनक्का, चित्रकमूल की छाल, दन्तीमूल, बला (बरियारा), अतिबला (कंधी), दालचीनी, धनिया, गजपीपल, शठी (कचूर), सुगन्धवाला मोथा, गन्ध प्रसारणी, बिदारीकन्द, शतावरी, आक की जड़, कोच के बीज, गोखरू, विधारा के बीज, भाँग के बीज-प्रत्येक 7-7 तोला लें। इन सबका महीन चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को शतावरी के रस से भावना देकर सुखा लें। फिर सेमरमूसली का चूर्ण 73 तोला, धुली हुई भांग का चूर्ण 32 तोला (भांग को घी भून कर डालें), एकत्रित कर बकरी के दूध में पीस लें। पश्चात् 2 सेर चीनी की चाशनी करें। आसन्नपाक होने पर उपरोक्त सब चीज मिला दें। पाक तैयार होने पर दालचीनी, तेजपत्ता, इलायची, नागकेशर, कपूर, सेंधानमक, सोंठ, और पीपल–इन दवाओं का चूर्ण 6-6 माशे मिला दें, पाक जब ठंडा हो जाय तो पाव घृत तथा पाव मधु मिलाकर रख लें। आ. प्र.; भै. र.