Dhatriarist

धात्र्यरिष्ट
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :
- इसके सेवन से पाण्डु, कामला, हृद्रोग, वातरक्त, विषमज्वर, खाँसी, हिचकी, अरुचि और श्वास रोग नष्ट होते हैं।
- पाण्डु और कामला रोग में जब शरीर में रकतकणों की कमी होकर जल भाग की वृद्धि विशेष हो जाती है, तब शरीर पीताभ दिखने लगता है, भूख कम लगती और दस्त होने लगते हैं। ऐसी दशा में इसके सेवन से काफी लाभ होता है, क्योंकि इसमें आँवले का रस ही प्रधान है और आंवले में लौह का अंश होने से शरीर की पुष्टि तथा रक्तकणों को बढ़ाने में बहुत लाभदायक है।
- रकतकणों की वृद्धि होने से जल भाग शुष्क होकर सूजन नष्ट हो जाती है और धीरे-धीरे पीलापन भी नष्ट होकर रोगी कुछ ही दिनों में स्वस्थ हो जाता है।
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan) :- १ से तोला, बराबर जल मिलाकर और कुछ खिलाकर के सुबह-शाम दें।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – अच्छे पके हुए 2000 आँवलों को कूटकर उसका रस निकाल जितना रस हो उसका आठवाँ भाग शहद, पीपल चूर्ण 8 तोला तथा चीनी 2 सेर मिलाकर सबको चिकने मटके (पात्र) में भरकर सन्धान कर के 15 दिन रखा रहने दें। पश्चात् तैयार होने पर निकाल कर छान कर रख लें।