Haridra Khand

हरिद्रा खण्ड
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :-
- इसके सेवन से शीतपित्त, उदर्द, कोठ (चकत्ते), कण्डू, खुजली, विचर्चिका (एग्जिमाछाजन), जीर्णज्चर, कृमि, पाण्डुरोग, शोथ इत्यादि रोग नष्ट होते हैं I
- यह मृदु विरेचक होने के कारण कोष्ठशुद्धि भी करता है।
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan) :- 6 माशा से 1 तोला तक, जल के साथ दें।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – हल्दी, निशोथ, हरड़–ये प्रत्येक 16-16 तोला लेकर इसका सूक्ष्म चूर्ण करें। चीनी 2 सेर लेकर मन्द-मन्द अग्नि पर गाढ़ी चाशनी करें, जब पकते-पकते चाशनी पाक योग्य हो जाय तो उसमें उपरोक्त चूर्ण, दारुहल्दी, नागरमोथा, अजवायन, अजमोद, चित्रकमूल, कुटकी, जीरा सफेद, पीपल छोटी, सोंठ, दालचीनी, छोटी इलायची, तेजपात, वायविडंग, गिलोय, वासामूल, कूठ, हर, बहेड़ा, आँवला, चव्य, धनियाँ, लौहभस्म, अभ्रकभस्म–प्रत्येक 6-6 माशे लेकर काष्ठौषधियों का सूक्ष्म कपड़छन चूर्ण तथा भस्में चाशनी मैं मिला दें। पाक अच्छी तरह हो जाने पर सुरक्षित रख लें।
बक्तव्य: इसमें 20 तोला घी लेकर बनाने में विशेष उत्तम बनता है।