Dhaniyepanchakarist

धान्यपंचकारिष्ट
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :
- यह अरिष्ट उत्कृष्ट दीपन, पाचन और ग्राही है।
- इसका प्रयोग करने से अतिसार, प्रवाहिका और संग्रहणी रोग नष्ट होते हैं।
- अर्क सौंफ 5 तोला मिला कर पिलाने से यह पित्तातिसार और रक्तातिसार में अच्छा लाभ करता है।
- वक्तव्य : यह धान्यपंचक क्वाथ का योग है। हम इसे शारङ्गधरोक्त आसवारिष्ट परिभाषा-विधि के अमुसार “धाऱ्यपंचकारिष्ट” के नाम से बनाते हैं, क्योंकि क्वाथ शीघ्र विकृत हो जाता है, किन्तु इसमें सन्धान के कारण मद्यांश उत्पन्न होकर क्वाथ के गुणों को चिरस्थायी बना देने से यह इवाथ की अपेक्षा उत्तम एवं गुणकारी होता है।
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan) :- १ तोला से 2 तोला तक, भोजन के बाद दोनों समय समान भाग जल मिलाकर लें।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – धनियां, खस, बेलगिरी, नागरमोथा, सोंठ,-ये प्रत्येक द्रव्य । सेर 9 छटाँक 3 तोला लेकर जौकुट चूर्ण कर 64 सेर जल में पकावें, 6 सेर जल शेष रहने पर उतार कर छान लें। पश्चात् इसमें गुड़ 6 सेर, धाय के फूल 10 छटाँक डाल कर घृतलिप्त पात्र में भर दें और 1 माह तक सन्धान करें।1 माह पश्चात् छानकर सुरक्षित रख लें। –सि. यो. सं