Amritprabha Vati
अमृतप्रभा बटी
गुण और उपयोग (Uses and Benefits )–
- इस बटी का प्रयोग करने से समस्त प्रकार के अजीर्ण रोग समूल नष्ट होते हैं और प्रकूपित आम या कफ-दोष का पाचन कर जठराग्नि प्रदीप्त करती है।
- इसके अतिरिक्त अरुचि, आध्मान, ग्रहणी रोग, अर्श, पाण्डु रोग, शूल रोग और अन्य उदर रोगों को नष्ट करती है। यह उत्तम वातानुलोमक और दीपक-पाचक है।
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan)-१-२ गोली, दिन में दो बार प्रात: – सायं सुखोष्ण जल के साथ दे।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation) : काली मिर्च, पीपलामूल, लौंग, हरड़, अजवायन, तिन्तिड़ीक, अनारदाना, विड्नमक, सेंधा नमक, सोंचर नमक-प्रत्येक १-१ भाग, पीपल, यवक्षार, चित्रकमूल-छाल, स्याह जीरा, सफेद जीरा, सोंठ, धनियाँ, छोटीइलायची,आँवला-प्रत्येक २-२ भाग लेकर कूट-कपड़छन चूर्ण कर लें और बिजौरा नींबू के रस की ३ भावना देकर मर्दन करें। गोली बनने योग्य होने पर ३-३ रत्ती की गोलियाँ बना सुखाकर रख लें। यो. चि. म
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