Arshoghan Vati

अर्शोऽघ्नी बटी
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) –
- यह दोनों प्रकार के बवासीर (खूनी -बादी) के लिए उत्तम दवा है।
- खूनी बवासीर में जब जोरों का रक्तस्राव हो रहा हो, तो इस बटी के प्रयोग से बहुत शीघ्र रक्त बन्द हो जाता है।
- नियमित रुप से इस बटी का सेवन करने से ववासीर जड-मूल से नष्ट हो जाती है।
- बादी के बढ़े हए कठोर मस्से सूख जाते हैं। यह दस्तावर, वायु नाशक और रक्तशोधक है।
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan) -१-१ गोली, सुवह-शाम। दिन में तीन-चार बार मट्ठे से या ठण्डे पानी के साथ दें।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation)-निंबोली (नीम के फल की मींगी) २ तोला, बकायन के फल की मींगी २ तोला, खून-खराबा (यूनानी-दमउल् अखवेन) २ तोला, तृणकांत (यूनानी-कहरवा) मणि की अर्क गुलाब से बनाई हुई पिष्टी १ तोला, शुद्ध रसौत (दारूहल्दी का घन सत्व) ६ तोला लें। प्रथम निंबोली और बकायन की मींगी को खूब महीन पीसें। पीछे अन्य द्रव्य मिला, घोंट कर २-२ रत्ती की गोलियाँ बना, सुखा कर रख लें। –सि. यो. सं. द्वि. संस्करण