Astang Hrdayam – Chapter 23
त्रयोविंशोऽध्यायः अथातो आश्चोतनाञ्जनविधिमध्यायं व्याख्यास्यामः । इति ह स्माहुरात्रेयादयो महर्षयः ।। अब इसके आगे आश्चोतन अंजन विधि नामक अध्याय का व्याख्यान करेंगे, जैसा कि आत्रेय आदि महर्षियों ने कहा था । नेत्ररोगों में आश्चोतन- सर्वेषामक्षिरोगाणामादावाश्चोतनं हितम् । रुक्तोदकण्डूघर्षाश्रुदाहरागनिबर्हणम्।।१।। आंख के सब रोगों में सबसे प्रथम ‘आश्चोतन’ करना हितकारी है। इससे पीड़ा, चुभना, कण्डु, रगड़, आंसू आना,…