Shothari Loh
शोथारि लौह
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :-
- पाण्डु रोग युक्त-शोथ–पुराने पाण्डु-रोग में रस-रक्तादि धातु कमजोर होकर अपनी क्रिया करने में असमर्थ हो जाती है, तब शरीर में रक्ताणुओं का ह्रास और जल भाग की वृद्धि होती है। रक्तवाही शिराओं में जल प्रवेश कर जाता है, जिससे शिराएँ फूल जाती हैं। शिराओं के फूलने से मांस भी फूल जाता है। इसमें रक्त की कमी के कारण शरीर का वर्ण कुछ सफेदी लिए होता है, सम्पूर्ण शरीर में सूजन फैल जाती है। यह सूजन कफजन्य होने के कारण दबाने से गढ्ढा पड जाता है। यह अवस्था कठिनता से अच्छी होने वाली होती हैं। इस अवस्था में शोथारि लौह के उपयोग से आश्चर्यजनक लाभ होते देखा गया हैं।
- यह दवा दीपन, पाचन, कफनाशक और रक्त-वरद्धक भी है। अतः यह दवा पाचक पित्त को जागृत कर अच्छा रस बनाने में सहायक होती हैं और लौहभस्म कफ को नाश करते हुए शरीर में नवीन रक्त की उत्पत्ति कर, सब धातुओं को पुष्ट करती हुई, जल भाग को सुखाकर, शोथ को नष्ट करके, रोगी को सबल बना देती है।
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan) :- 2 से 6 रत्ती, सुबह-शाम त्रिफला-क्वाथ के साथ दें।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – सोंठ, मिर्च, पीपल इसका समभाग कपड़छन किया हुआ चूर्ण और जवाखार प्रत्येक तोला, लौह-भस्म इन सब दवाओं के समान भाग (4 तोला) लेकर, सब को एकत्र मिला, खरल कर रख लें।
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