Talishadi Churan

तालिसादि चूर्ण:
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि:
तालीसपत्र 1 तोला, कालीमिर्च 2 तोला, सोंठ 3 तोला, पीपल 4 तोला, बंशलोचन 2 तोला, छोटी इलायची और दालचीनी 6-6 माशा लें-इन सबका महीन चूर्ण कर फिर इसमें 32 तोला मिश्री या चीनी पीसकर मिला कर रख लें।
मात्रा और अनुपान:
2 से 3 माशे सुबह-शाम मधु और घी के साथ दें।
गुण और उपयोग:
इस चूर्ण के सेवन से खाँसी, विशेषकर सूखी खाँसी, जीर्णज्वर, अग्निमान्द्य, संग्रहणी, अरुचि और पाचन-शक्ति की कमी आदि विकारों में बहुत ही फायदा होता है। यह चूर्ण कुछ उष्ण, पाचक, अग्निप्रदीपक और दस्त को रोकने वाला है।
इसका उपयोग सूखी खाँसी में विशेष किया जाता है। वात या पित्त-प्रकोप के कारण कफ सूख कर छाती में बैठ जाने पर सूखी खाँसी उठती है। इसमें खाँसी ज्यादा होना, बहुत खाँसने के बाद थोड़ा-सा कफ का कड़ा (पीला) बाहर निकल जाने पर कुछ देर के लिए शान्ति मिलना, खाँसते समय छाती में मीठा-मीठा दर्द, नसों में खिंचावट, प्यास और कण्ठ सूखना, आँखें और चेहरा लाल हो जाना आदि उपद्रव उत्पन्न हो जाते हैं। ऐसी दशा में तालिसादि चूर्ण के उपयोग से बहुत शीघ्र लाभ होता है, क्योंकि यह कफ को पिघला कर बाहर निकाल देता तथा पित्त की गर्मी को शान्त कर तरी बनाये रखता है। श्वासनलिका में से कफ निकल जाने पर खाँसी स्वयं बन्द हो जाती है। इसके अतिरिक्त अरुचि आदि को नष्ट करने के लिये भी यह उपयोग में आता है।