Triphala Mandur

Triphala Mandur

त्रिफला मण्डूर गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- यह मण्डूर अम्लपित्त रोग में उत्पन्न होने वाले दर्द के लिए अच्छा है। इसके सेवन से पाण्डु, कामला, कब्ज आदि रोग अच्छे हो जाते हैं। विशेष कर प्लीहा की क्रिया को यह ठीक करता है। मलेरिया ज्वर के कारण प्लीहा-वृद्धि और ज्वर को दूर करता है।…

Triphaladi Loh

Triphaladi Loh

त्रिफलादि लौह गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- इसके सेवन से दुःसाध्य आमवात, पाण्डुरोग, हलीमक, परिणामशूल, शोथ और ज्वर आदि नष्ट होते हैं। आमवात की उग्रावस्था में, जब गाँठों में सूजन और दर्द जोरों से. हो रहा हो, दस्त की कब्जियत, सम्पूर्ण शरीर में जकड़न, रकत की गति में बाधा, वातवाहिनी नाड़ियों में विकृति…

Tara Mandur

Tara Mandur

तारा मण्डूर गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :-इसका उपयोग विशेष कर पक्तिशूल (भोजन पचने के समय जोरों से पेट में दर्द होना), पाण्डु (पीलिया), कामला, शूल, हाथ-पैर और सारे शरीर में सूजन, मन्दाग्नि, बवासीर, ग्रहणी, गुल्म, अम्लपित्त आदि रोगों में होता है। परिणामशूल में भी इससे काफी लाभ होता है। वक्तव्य ग्रन्थ के मूलपाठ…

Tapyadi Loh

Tapyadi Loh

ताप्यादि लौह नं०1 ( रौप्यभस्म युक्त ) गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- इसके सेवन से पाण्डु, कामला, यकृत्‌ एवं प्लीहा के विकार, रक्त की कमी, सूजन स्त्रियों के मासिक धर्म की गड़बड़ी आदि रोग अच्छे होते हैं। मलेरिया के बाद उत्पन्न एनीमिया की यह सबसे अच्छी दवा है। इससे खून की वृद्धि होकर शरीर…

Chandaramrit Loh

Chandaramrit Loh

चन्द्रामृत लौह गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- इसके सेवन से सब प्रकार की खाँसी, श्वास, ज्वर, भ्रम, दाह, तृष्णा, शूल और जीर्णज्वर का नाश होता हें तथा अरुचि, जठराग्नि और बल-वर्ण की वृद्धि होती है। इस लौह का गुण-धर्म चन्द्रामृत रस के सदूश ही है। अन्तर इतना है किं इसमें लौह: भस्म विशेष…

Chandanadi Loh

Chandanadi Loh

चन्दनादि लौह गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- लौह भस्म का यह सौम्य योग है। बार-बार आने वाला पारी का ज्वर, विषमज्वर तथा जीर्णज्चर में इसका अच्छा असर होता है। यह पाचन विकार को ठीक करके बढ़ी हुई रक्त की गति को ठीक कर देता है। नेत्रदाह (आँखों में जलन), सिर में दर्द, प्रदाह…

Guduchiadi Loh

Guduchiadi Loh

गुडूच्यादि लौह गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- इस लौह के सेवन से वात-रक्त तथा फोड़े-फुन्सी आदि आराम होते हैं। इसमें लौह की प्रधानता से रक्त शुद्ध होकर खून की वृद्धि होती है। पित्तजन्य विकारों में भी यह फायदा पहुँचाता है। प्रकुपित पित्त के कारण रक्त दूषित होने से शरीर के ऊपर लाल चट्टे हो…

Karshyehar Loh

Karshyehar Loh

कार्श्यहर लौह गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- यह बल-वीर्यवर्धक, अग्नि-दीपक, वृष्य और रसायन है। इसके सेवन से शरीर में स्फूर्ति व रक्त पैदा होता है तथा दुर्बलता, कमजोरी और रक्त की कमी दूर हो शरीर पुष्ट और बलवान हो जाता है। रस-रक्तादि धातुओं के क्षय हो जाने के कारण जो दुर्बल हो गये हों…

Kalmegh Navayas

Kalmegh Navayas

कालमेघ-नवायस गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- जीर्णज्वर या विषमज्वर के बाद की दुर्बलता, पाण्डु रोग और यकृत्‌ वृद्धि में यह लाभदायक है। पुराना ज्वर अधिक दिन तक ज्वर आने से शरीर दुर्बल और कमजोर हो जाता है। इसमें रक्त की कमी के कारणे शरीर पाण्डु रंग का हो जाता है, फिर भूख नहीं लगती,…

Amritarnav Loh

Amritarnav Loh

अमृतार्णव लौह गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- यह रक्तशोधक, दीपक, पाचक और शक्ति-वर्धक है। इसके सेवन से सब प्रकार के कोढ़, वात-रक्त, अर्श (बवासीर) और उदर रोगों का नाश होता है। प्रकुपित वात जब रक्त दूषित कर देता है, तब शरीर में अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं। फोड़ा, छोटी-छोटी फुन्सियाँ,…

Ashtdashang Loh

Ashtdashang Loh

अष्टादशांग लौह गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- यह मण्डूर पीलिया (कामला), हलीमक और शोथ (सूजन) आदि की अमोघ दवा है। अनेक कटु-तिक्त औषधियों के साथ लौह का संयोग होने से श्वास, खाँसी, रक्तपित्त, अर्श (बवासीर), संग्रहणी, आमवात, रक्त विकार, कुष्ठ और कफ के रोग भी नष्ट होते हैं। मात्रा और अनुपान  (Dose and…

Amalpitantak Loh

Amalpitantak Loh

अम्लपित्तान्तक लौह गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- इस औषध के सेवन से समस्त प्रकार के अम्लपित्त रोग नष्ट होते हैं तथा समस्त प्रकार के शूल रोगों को नष्ट करने के लिए परम गुणकारी औषध है। यकृत्‌ और पित्ताशय की विकृति नष्ट करके पित्त की विदग्धता को नष्ट करना इस औषध का प्रधान कार्य…