Tara Mandur

तारा मण्डूर
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :-इसका उपयोग विशेष कर पक्तिशूल (भोजन पचने के समय जोरों से पेट में दर्द होना), पाण्डु (पीलिया), कामला, शूल, हाथ-पैर और सारे शरीर में सूजन, मन्दाग्नि, बवासीर, ग्रहणी, गुल्म, अम्लपित्त आदि रोगों में होता है। परिणामशूल में भी इससे काफी लाभ होता है। वक्तव्य ग्रन्थ के मूलपाठ में इसकी मात्रा 1 कोल अर्थात् आधा कर्ष की लिखी हैं, किन्तु वर्तमान अल्प सत्त्व लोगों के लिए 6 रत्ती से 8 रत्ती की मात्रा पर्याप्त है।
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan) :- 2-3 गोली भोजन के पहले और भोजन के बाद शीतल जल से दोनों समय सेवन करें।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – वायविडंग, चित्रक, चव्य, हरे, आँवला, सोंठ, मिर्च, पीपल–प्रत्येक 1-1 तोला, मण्डूर भस्म 9 तोला लेकर 7 छटाँक तोला गोमूत्र और 3 छटाँक 6 माशा गुड़–सबको एकत्र मिलाकर मन्दाग्नि पर पकावें। जब गाढ़ा हो जाय तब 3-3 रत्ती की गोलियाँ बना, सुखा कर सुरक्षित रख लें। —भै. र.