Arjunarist

पार्थाद्घरिष्ट ( अर्जुनारिष्ट )
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :
- इसके उपयोग से हदय की कमजोरी, दिल की धड़कन एवं फेफड़ों के विकार नष्ट होते हैं।
- यह हृदय को ताकत देता, हार्ट फेल नहीं होने देता तथा हृदय की निर्बलता को दूर कर बलवान बना देता है।
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan) :- १ से 2 तोला, प्रातः-सायं भोजन के बाद बराबर जल मिलाकर देवें।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – अर्जुन की छाल 5 सेर, मुनक्का 2 सेर, महुवे के फूल । सेर लेकर सबको 1 मन 11 सेर 46 तोला पानी में पकावें। चौथाई (12 सेर 4 तोला) पानी शेष रहने पर छान लें। फिर उसमें 7 सेर धाय के फूल और 5 सेर गुड़ मिलाकर उमे मिट्टी के चिकने बर्तन (मटका) में भरकर सन्धान करके 7 मास रहने दें, बाद में छान कर रख लें। —भै.र.
वक्तव्य: इस योग में अर्जुन छाल का रस प्रधान होने से गुड़ 5 सेर के स्थान पर 8 सेर मिलाने से उत्तम है। वर्तमान वैद्यसमाज में यह अर्जुनारिष्ट नाम से अधिक प्रचलित है।