Aamvatari Vati
आमवातारि बटी(Aamvatari Vati)
मुख्य सामग्री:
- शुद्ध पारा
- शुद्ध गन्धक
- लौह भस्म
- ताम्र भस्म
- तूतिया
- सुहागे की खील
- सेंधा
- नमक – प्रत्येक दवा 1-1 तोला
- शुद्ध गुग्गुल 14 तोला
- निशोथ की जड़ और चित्रक की जड़ 311-311 तोला
समान भाग लेकर पानी में खरल करके मूँग के बराबर गोलियाँ बना रख लें। छाया में सुखाकर रख लें।
मात्रा और अनुपान:
1-1 गोली सुबह-शाम रास्नादि क्वाथ या अण्डी (एरण्ड) की जड़ के क्वाथ के साथ दें।
गुण और उपयोग:
- पाचक
- भेदक
- आमवात
- गुल्म
- शूल
- उदर रोग
- यकृत् प्लीहोदर
- अष्ठीला
- कामला
- पाण्डु
- अरुचि
- ग्रन्थिशूल
- सिर दर्द
- वातरोग
- गृध्रसी
- गलगण्ड
- गण्डमाला
- कृमि
- कुष्ठ
- भगन्दर
- विद्रधि
- अन्त्र विद्रधि
- बवासीर और गुदा के समस्त रोगों का नाशक है।