Sapatvinshati Guggulu
सप्तविंशति गुग्गुलु
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि: त्रिकटु, त्रिफला, नागरमोथा, वायविडंग, , चित्रकमूल, कचूर, बड़ी इलायची, पिपरामूल, हाऊबेर, देवदारु, तुम्बुरू (नैपाली धनियाँ-तेजबल के फल), पोहकरमूल, चव्य, इंद्रायण की जड़, हल्दी, दारुहल्दी, विड़नमक, काला नमक, यवक्षार, सज्जीखार, सेधा नमक और गजपिप्पली–प्रत्येक का कपड़छन किया हुआ चूर्ण 7-7 तोला, शुद्ध गुग्गुलु 54 तोला लें। प्रथम गुग्गुलु में थोड़ा घी मिला कर थोड़ा-थोड़ा चूर्ण मिला कर कूटते जायें। जब गोली बनाने योग्य हो जाय, 3-3 रत्ती की गोलियाँ बना, सुखा कर रख लें। भै. र.
मात्रा और अनुपान: 2-4 गोली सुबह-शाम। दिन में दो बार मधु से दें। ऊपर से मञ्जिष्ठादि क्वाथ पिला दें।
गुण और उपयोग
- इसके सेवन से भगन्दर, बवासीर, नासूर, नाड़ीव्रण, दुष्टब्रण आदि में विशेष फायदा होता है।
- हृदय और पसली के दर्द, कुक्षि, वस्ति (पेडू), गुदामार्ग और मूत्रनली के विकार इसके सेवन से नष्ट होते हैं।
- अन्त्र-वृद्धि, श्लीपद, शोथ, कृमि, कुष्ठादि चर्म रोगों में भी उत्तम फल देने वाला है।