Trilokya Vijya Vati
त्रैलोक्य विजया बदी:
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि :
भाँग का घन सत्त्व 3 तोला और बंशलोचन चूर्ण 3 तोला, दोनों को एक खरल में जल ` के साथ मर्दन कर अच्छी तरह सावधानी से – रत्ती की गोलियाँ बना लें। नर. वि.
मात्रा और अनुपान
1-1 गोली सुबह-शाम मधु से देना चाहिए।
गुण और उपयोग :
- इस बटी के सेवन से प्रलाप, उन्माद और वृक्कशूतै नष्ट होता है।
- माहवारी के समय होने वाले रजःकष्टजन्य शूल को यह दूर करती तथा राजयक्ष्मा की खाँसी को मिटाती है।
- इसके सेवन से पुरातन अतिसार नष्ट हो जाता और स्वप्नदोष बन्द हो जाता है।
- इस बटी का प्रभाव वातवाहिनी नाड़ियों पर विशेष होता है। दूंध या मलाई के साथ सेवन करने से यह बाजीकर भी है, क्योंकि इसका प्रभाव जननेन्द्रिय एवं शुक्रवाहिनी शिराओं पर भी होता है।
- शरीर में कहीं भी किसी तरह की पीड़ा हो इस बटी के सेवन से तुरन्त लाभ होता है।
- रजःकृच्छरता अर्थात् कष्ट से माहवारी होने पर इसका कार्य बहुत अच्छा होता है। यह दस्त को भी रोकती है, परन्तु यह अफीम की तरह मल बन्धक नहीं है।
- इसको थोड़ी मात्रा में सेवन करने से कुछ नशा आ जाने के कारण यह थकावट को भी दूर करती है।