Gandhak Vati(Raj Vati)
गन्धक बटी ( राज बटी ):
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि :
- शुद्ध गन्धक 2 तोला,
- सोंठ का महीन चूर्ण 4 तोला,
- सेंधा नमक 2 तोला-इन तीनों का महीन चूर्ण कर नींबू के रस में तीन दिन तक मर्दन कर, चने के बराबर गोलियाँ बना लें।
मात्रा और अनुपान : भोजन के बाद 2 – 2 गोली गर्म जल के साथ सेवन करें।
गुण और उपयोग :
- यह बटी दीपन-पाचन तथा जायकेदार होने से बहुत प्रसिद्ध है।
- अजीर्ण रोग को नाश करने के लिए यह बहुत लाभदायक है।
- भोजन के बाद 2-4 गोली जल के साथ लेने से अन्न अच्छी तरह हजम हो जाता और दस्त भी साफ निकलता है।
- अरुचि, अजीर्ण, पेट-दर्द, पेट में वायु का जमा होना, आँव की शिकायतें, कब्जियत, रक््त-विकार और अम्लपित्त आदि रोगों में यह बटी बहुत फायदा करती है।
- जो लोग भोजन अच्छी तरह पचने के लिए सोडा वाटर का व्यवहार करते हैं, उनके लिए उसकी अपेक्षा यह अमृत के समान गुणकारी हैं।
- इससे भोजन अच्छी तरह पचता और खुल कर भूख लगती है. और चित्त हमेशा प्रसन्न रहता हैं।
- इसके नियमित सेवन से किसी देश के जल का बुरा प्रभाव शरीर पर नहीं पड़ता।
- इसमें यह विचित्र और अद्भूत शक्ति है। अमीर-गरीब सभी के योग्य, उत्तम गुणदायक यह दवा है।
- हैजा में भी इसके उपयोग से अच्छा लाभ होते देखा गया है।
- इसका नाम राजबटी भी प्रचलित है।
यो. चि. तथा आरोग्य-प्रकाश