Chandarkala Vati
चन्द्रकला बटी:
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि :
छोटी इलायची के बीज, कपूर, शुद्ध सूखा शिलाजीत, आँवला, जायफल, केशर, रससिन्दूर, बंग भस्म और अभ्रक भस्म समान भाग लें। प्रथम रससिन्दूर को खरल में खूब महीन पीसें। उसमें शिलाजीत, भस्में तथा अन्य द्रव्यों का कपड़छन चूर्ण मिला, हरी गिलोय तथा सेमल मूल के स्वरस में 3-3 दिन मर्दन कर 3-3 रत्ती की गोलियाँ बना, छाया में सुखाकर रख लें। | —सि. यो. सं.
मात्रा और अनुपान:
4-2 गोली शहद में मिलाकर दें और ऊपर से गाय का दूध या प्रमेहनाशक क्वाथ पिलावें। |
गुण और उपयोग:
- यह बीसों प्रकार के प्रमेह को नष्ट करती है; विशेषतः शुक्रमेह और स्वप्न दोष में इसका प्रयोग करने से अधिक लाभ होता है।
- यह रसायन पौष्टिक तथा बल-वीर्यवरद्धक है।
- इसका प्रभाव वातवाहिनी और शुक्रवाहिनी शिराओं पर ज्यादा होता है।
- इसकी कमजोरी से ही स्वप्नदोष या पेशाब के साथ शुक्र निकलने लंगता है।
- मर्ज पुराना होने पर शरीर कमजोर, दुर्बल, कान्तिहीन और आँखें निस्तेज हो जाती हैं।
- शरीर में रक्त की कमी की वजह से शरीर पाण्डु वर्ण का हो जाता हैं, भूख नहीँ लगती, मन्दाग्नि और अजीर्ण रहने लगता है। इस दवा के उपयोग से ये सब विकार दूर हो जाते हैं तथा शरीर भी सबल और सुन्दर बन जाता है।