Kanchnar Guggulu(कांचनार गुग्गुलु )
कांचनार गुग्गुलु:
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि :
कचनार की छाल 40 तोला, त्रिफला 24 तोला, त्रिकुटा 2 तोला, वरुण की छाल 4 तोला, इलायची, दालचीनी, तेजपात–प्रत्येक ।-] तोला—सबको कूट कपड्छन चूर्ण बनारवें। सब चूर्ण के बराबर शुद्ध गुग्गुलु मिला कर, कूट कर, घी या एरण्ड तैल के सहारे 3-3 रत्ती की गोलियाँ बना,- छाया में सुखा कर रख लें।
मात्रा और अनुपान 2-4 गोली सुबह-शाम कचनार की छाल, वरना (वरुण) की छाल, गोरखमुण्डी और खैरसार की छाल या लकड़ी के बुरादे का क्वाथ बनाकर इसके साथ दें। यदि विशेष लाभ महीं ` हो तो इसके साथ सुवर्ण भस्म अष्टमांश रत्ती और प्रवाल पंचामृत 3 रत्ती मिलाकर दें। नोट गुग्गुलु, गन्धक और रसौत तीनों समभाग लेकर जल में पीस करके गण्डमाला पर लेप करने से भी बहुत लाभ होता है।
गुण और उपयोग:
- इस गुग्गुलु के सेवन से गलगण्ड, गण्डमाला (गले में कण्ठवेल होना), अपची, ग्रन्थि, अर्बुद (रसौली), गले में और नाक के भीतर गांठे बढ़ना, ब्रण, गुल्म, कुष्ठ व भगन्दर आदि रोगों में अच्छा फायदा होता है।
- कांचनार गुग्गुलु का उपयोग विशेषकर ग्रंथि (गाँठ) नाश करने के लिए ही किया जाता है। ये गाँठे वात और कफजन्य हुआ करती हैं। गलगण्ड और गण्डमाला की अपक्वावस्था अर्थात् जब इस रोग का प्रादुर्भाव ज्ञात हो, तभी से इसका उपयोग करना प्रारम्भ कर देने से 2 महीने में शर्तिया लाभ होता है, ऐसा मेरा अनुभव है। पुराने विकारों में अधिक समय तक दें।
- इस दवा के सेवन के साथ ही यदि बांझ ककोड़े की जड़ का लेप कांजी में मिलाकर गले की गाँठ पर किया जाय, तो अवश्य ही उक्त समय तक गांठ अच्छी हो जायेगी।