Triodashang Guggulu(त्रयोदशांग गुग्गुलु)
त्रयोदशांग गुग्गुलु
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि : बबूल की फली या छाल, असगन्ध, हाऊबेर, गिलोय, शतावर, गाखरू, काला निशोथ, रास्ना, सौंफ, कचुर, अजवायन और सोंठ का चूर्ण समान भाग लें और सब दवा के समान भाग शुद्ध गुग्गुलु और गुग्गुलु से आधा घी लेकर गुग्गुलु और अन्य द्रव्यों के चूर्ण को एकत्र मिला, थोड़ा-थोड़ा घी डालकर कूटें। जब गोली बनाने योग्य हो जाय, तब 3-3 रत्ती की गोलियाँ बना, छाया में सुखा कर रख लें। —भा. प्र.
मात्रा और अनुपान: 2-4 गोली सुबह-शाम गर्म जल या दूध के साथ देंI
गुण और उपयोग:
- इसके सेवन से वात-शूल, गठिया, पक्षाघात, लकवा, गृघ्रसी-वात, अस्थि, सन्धि, मज्जागत तथा स्नायु एवं कोष्ठस्थित वात रोग नष्ट होते हैं। इसके नियमित सेवन से कभी-कभी लूले-लंगड़ें और पंगु तक अच्छे हो जाते हैं।
- वातनाशक औषधियों के अनुपान के साथ देने से वातव्याधि नष्ट होती है।
- बक्तव्य अनुभव से देखा गया है कि गुग्गुलु से आधा घी मिलाने से गोलियाँ नहीं बन पाती हैं। अतः गुग्गुलु से चतुर्थांश घी मिलाकर गोलियाँ बनाना एवं अनुपान में गरम दूध में घी मिला . कर सेवन करना उचित एवं सुविधाजनक है। है