Kaishor Guggulu(कैशोर गुग्गुलु )
कैशोर गुग्गुलु
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि :
त्रिफला 3 प्रस्थ (2 सेर, 6 खटांक, 2 तोला) और गिलोय 7 प्रस्थ (64 तोला) को कूट कर लोहे की कड़ाही में 9 सेर, 3 खटाँक, । तोला जल मिला कर काढा बनाएँ, जब आधा जल शेष रहे तब उतार कर छान लें। उस काढ़े में 64 तोला उत्तम गूगल डाल कर मन्द आग पर पकावें। जत गूगल पतला होकर काढ़े में मिल जाय, तब छान कर उसको फिर चूल्हे पर चढ़ां कर औंटावें और कलछुल से चलाते रहें, जिससे जलने या कड़ाही में गूगल लगने का भय न रहे। जग गूमल गाढ़ा अर्थात् गुड़पाक के समान हो जाय तब कड़ाही से निकाल कर उसमें त्रिफला 8 तोला, गिलोय 4 तोला, सोंठ, काली मिर्च, पीपल और वायविडंग प्रत्येक 2-2 तोला, जमालगोटे की जड़ और निशोथ 1-1 तोला इन:सब दवाओं का महीन चूर्ण करके ऊपर वाले गुग्गुलु में मिला कर घी या एरण्ड तैल से कूट कर 3-3 रत्ती की गोलियाँ बना, सुखा कर रख लें। शा. सं.
मात्रा और अनुपान: 2-4 गोली सुबह-शाम मंजिष्ठादि क्वाथ या गर्म जल अथवा दूध के साथ दें।
गुण और उपयोग:
- इसके सेवन से एकदोषज, द्विदोषज और पुराना शुष्क अथवा स्रावयुक्त फैला हुआ घुटनों तक वातरक्त, घाव, खाँसी, कोढ, गुल्म, शोथ, उदररोग, पाण्डु, प्रमेह, अग्निमान्द्य, विवंध, प्रमेह पीड़िका आदि का नाश होता है।
- इसके निरन्तर अभ्यास से वायु और रक्त-विकार- सम्बन्धी सब रोग नष्ट हो जाते हैं।
- यह गुग्गुलु हर समय सेवन किया जा सकता है एवं इसके सेवन में किसी प्रकार का विशेष पथ्य-परहेज भी नहीं करना पड़ता है।
- इसका उपयोग विशेषकर वातरक्त, कुष्ठ और रक्त विकार में किया जाता हैं। |