Vranrakshak Tel

ब्रणराक्षस तैल
गुण और उपयोग (Uses and Benefits):
- इस तैल की मालिश से समस्त प्रकार के चर्मरोग और प्रण नष्ट होते हैं।
- इसके अतिरिक्त नाड़ीब्रण {नासूर), विस्फोट, मांस-वृद्धि, विचर्चिका (एक्जिमा), दाद, अपची, ‘ कण्डू, मण्डलकुष्ठ और दुष्ट व्रण नष्ट हो जाते हैं!
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – पारद, गन्धक, सिन्दूर, मैनसिल, लहसुन छिल्का रहित, मीठा विष, ताप्र-भस्म–प्रत्येक द्रव्य 1 -1 तोला लेकर पारा, गन्धक की कज्जली बनावे, पश्चात् अन्य द्रव्यों को पृथक्-पृथक् सूक्ष्म कपड्छन चूर्ण कर लें। फिर कज्जली तथा सब द्रव्यों के चूर्ण को 75 तोला कडुवे तेल में मिलाकर, एक ताम्रपत्र में भर कर, 75 दिन तक सूर्य के तीब्र ताप में रख कर प्रतिदिन दो बार चला दिया करें। पश्चात् बिना छाने ही द्रव्यों के कल्क सहित तेल को चीनी मिट्टी या काँच की बरनी में भरकर ढक्कन लगा सुरक्षित रख लें।
वक्तव्य : इस योग में पार, गन्धक, मैनसिल, मीठा विष आदि द्रव्य आशुद्ध ही डाले जाते हैं।