Triphala Churan

त्रिफला चूर्ण
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि:
हरड़ का छिलका, बहेड़े का छिलका, आँवला-गुठली रहित-प्रत्येक 1-1 भाग लेकर सूक्ष्म चूर्ण करके सुरक्षित रख लें।-शा. सं.
मात्रा और अनुपान
3-9 माशे तक, रात को सोते समय गरम जल से या दूध के साथ अथवा विषम भाग घी और शहद के साथ दें।
गुण और उपयोग
यह चूर्ण उत्तम रसायन एवं मृदु विरेचक है। इस चूर्ण का प्रयोग करने से बीसों प्रकार प्रमेह रोग, मूत्र का अधिक आना, मूत्र में गंदलापन होना, शोथ, पाण्डुरोग और विषम ज्वर नष्ट होता है। यह चूर्ण अग्नि प्रदीपक, कफ-पित्त, कुष्ठ और वलीपलीत नाशक है। इस चूर्ण को रात्रि में गरम जल या दूध के साथ सेवन करने से प्रातः दस्त खुलकर होता है। विषम भाग शहद और घी के साथ सेवन करने से नेत्र रोग में अपूर्व लाभ होता है। शुद्ध गन्धक और शहद के साथ सेवन करने से सभी प्रकार के रक्तविकार और चर्म रोग नष्ट होते हैं।