Rohitakarist

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रोहितकारिष्ट गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  : इसके सेवन से तिल्ली, यकृत्‌, वायुगोला, अग्निमान्द्य, हद्रोग, पाण्डु, संग्रहणी, कुष्ठ शोथ (सूजन) आदि रोग दूर हो जाते हैं। यह रक्तशोधक और पाचक भी है। प्लीहा अथवा यकृत्‌ बढ़ जाने से शरीर कमजोर हो जाना, भूख नहीं लगना, अग्निमान्द्य हो जाना, पेट भरा रहना, अन्न में अरुचि, खाने…

Chavyearist

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चव्यकारिष्ट गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  : इस अरिष्ट के प्रयोग से समस्त प्रकार के गुल्म, 20 प्रकार के प्रमेह, जुकाम, क्षय, खांसी, अष्ठीला, वातरक्त, उदर विकार तथा अन्त्र-वृद्धि रोग नष्ट होते हैं। इसके अतिरिक्त यह कामला, यकृत्‌ विकार, आध्मान (अफरा), अण्डवृद्धि और अग्निमांद्य को भी नष्ट करता है। मात्रा और अनुपान  (Dose and Anupan) …

Rohitak Loh

Rohitak Loh

रोहितक लौह गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- यकृत्‌ और प्लीहा की वृद्धि, शोथ, पाण्डु रोग और पुराने विषमज्वर में लाभदायक है। यकृत्‌ और प्लीहा की वृद्धि होने पर मन्दाग्नि, भूख न लगना, जाड़ा देकर बुखार आना, ‘रस-रक्तादि धातुओं की कमी के कारण शरीर दुर्बल और कान्तिहीन हो जाना, कभी-कभी शोथ और पाण्डु रोग…

Yakritari Loh

Yakritari Loh

यकृदरि लौह गुण और उपयोग (Uses and Benefits)  :- यकृत्‌ रोग नाश करने की यह प्रसिद्ध दवा है। यकृत्‌ में किसी तरह की बीमारी होने से पाचक रस उचित मात्रा में नहीं बन पाता, अतः अन्नादि का पाचन ठीक से नहीं होता है,जिसके कारण रस-रक्त-वीर्यं आदि शरीर को पुष्ट करने वाले सातों धातुओं की उचित…