Sundrikalp

सुन्दरीकल्प
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :
- मात्रा और अनुपान गुण और उपयोग स्त्री रोगनाशक, अनेक उत्तमोत्तम औषधियों के मिश्रण से निर्मित इस महौषधि के सेवन से खरियों को होने वाले समस्त प्रकार के रोग शीघ्र नष्ट होते हैं-तथा रक्तप्रदर, श्वेत प्रदर, कष्टार्तव, पाण्डु, गर्भाशय तथा योनिभ्रंश, डिम्बग्रन्थि-प्रदाह, हिस्टीरिया, बन्ध्यापन, ज्वर, रक्तपित्त, प्रमेह, मूत्रकृच्छ, मूत्राघात, अर्श, मन्दाग्नि, गर्भाशय-शोथ, योनि-शोथ, अरुचि, हाथ-पैर के तलवों की जलन, आँखों की जलन, कास, पेट का दर्द, सिर भारी रहना, रक्ताल्पता, तृष्णा आदि विकार नष्ट होकर नवयौवन प्राप्त होता है 1
- यहः कल्प शरीर को बलवान, इष्ट-पुष्ट और स्वस्थ बनाता है।
- वक्तव्य यह योग आचार्य यादवजी कृत सिद्धयोग संग्रह के स्री रोगाधिकार में अशोकारिष्ट के नाम से है।
- स्त्रियों के रोगों में यह अत्युत्तम गुणकारी सिद्ध हुआ है।
- सुन्दरियों के होने वाले सभी रोगों को नष्ट कर उनके स्वास्थ्य का कल्प कर देता है। अतः हम इसको “सुन्दरी कल्प’ के नाम से व्यवहार करते हैं!
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan) :- । तोला से 2 तोला तक, दोनों समय भोजन के बाद समान भाग जल मिलाकर सेवन करें।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – अशोक छाल 25 सेर, लोध्र-छाल 2 सेर को लेकर इनको जौकुट चूर्ण करके 256 सेर जल में क्वाथ करें, 64 सेर जल शेष रहने पर उतार कर छान लें, फिर उसमें चीनी 25 सेर, गुड़ 2 सेर डालकर, अच्छी तरह घोल दें तथा धाय के फूल 4 सेर, मुनक्का 5 सेर सफेद जीरा, नागरमोथा, सोंठ, दारुहल्दी, कमल फूल, हरड़, बहेड़ां, आंवला, आम की गुठली की मींगी, केशर (अभाव में नाग केशर), वासा-मूल, सफेद चन्दन, रसौत, पतंगकाष्ठ खदिर-काष्ठ, बेलगिरी, सेमल के फूल या मोचरस, खरेंटी के पंचांग, शुद्ध भिलावा अनन्तमूल, गुड़हल के फूल, दालचीनी, बड़ी इलायची, लौंग–प्रत्येक 20-20 तोला लेकर जौकुट चूर्ण करके मिलाकर, सब सामान को घृतलिप्त-पात्र में भर दे और आसवारिष्ट के समान एक माह तक सन्धान क़रके, पश्चात् तैयार हो जाने पर, छान कर सुरक्षित रख लें।