Sarivadiasava

सारिवाद्यासव
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :
- यह आसव 20 प्रकार के प्रमेह, पीड़िका, उपदंश और इसके उपद्रव, वातरक्त, भगन्दर, मूत्रकृच्छू, नाड़ीब्रण, पीब बहने वाले फोड़े-फुन्सियोँ आदि रोगों को नष्ट करता है।
- यह आसव रक्तशोधक, रक्तप्रसादक, मूत्रशोधक और पेशाब साफ लाने वाला है।
- अधिकतर प्रमेह रोग बहुत दिनों तक ध्यान में नहीं आता है। जब इस रोग की तरफ ध्यान जाता है, उस समय यह मधुमेह के रूप में बदल जाता है अथवा पीड़िका उत्पन्न हो गयी होती है। अतएव ऐसे भयंकर रोग के ऊपर विशेष ध्यान रखना चाहिए। प्राकृतिक नियमों में थोड़ भी अन्तर पड़ जाने से तुरन्त किसी सदवैद्य (अच्छे वैद्य) से इसके विषय में परामर्श कर उचित दवा लेनी चाहिए।
- प्रमेह की प्रारम्भिक अवस्था में यदि सारिवाद्यासव का सेवन कुछ दिनों तक नियमपूर्वव किया जाय और पथ्यपूर्वकं रहा जाय, तो निःसन्देह रोग आगे से बढ़ कर यहीं समाप्त ह जाता है। फिर मधुमेह या प्रमेह पीड़िका आदि उपद्रव पैदा ही नहीं हो सकते। प्रमेह पीड़िक रोग हो जाने पर भी लगातार कुछ दिनों तक सेवन करने से यह दोष मिट जाता है।
- पित्तजन्य प्रमेहो पर इसका उपयोग किया जाता है।
- इसका प्रभाव वातवाहिनी नाड़ियों पर तथा मूत्र-पिण्ड, स्त्री -जननेन्द्रिय, गर्भाशय, बीजाशय आदि पर अधिक होता है।
- मस्तिष्क के विकारों में भी इसका अच्छा असर होता है।
- कोई-कोई वैद्य उन्माद रोग सर्पगन्धा चूर्ण के साथ इस आसव का प्रयोग करने की राय देते हैं और इससे लाभ होता है।
- मूत्राश्मरी, मूत्रकृच्छू अथवा रुक-रुक कर पेशाब होना, पेशाब में जलन होना, लाल रंग का पेशाब होना, पेशाब करते समय पेडू अथवा मूत्रनली में दर्द होना या सूजाक रोग के कारण मूत्र में जल अथवा दर्द होना या पीब आना आदि विकारों में इस आसव के उपयोग से बहुत लाभ होता है।
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan) :- । से 2 तोला, भोजन के बाद, सबेरे और शाम को, समान भाग जल मिला कर दें।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – सारिवा (अनन्तमूल), मोथा, लोध, बरगद की छाल, पीपल वृक्ष की छाल, कचूर, अनंतमूल सफेद, पद्माख, – सुगन्धबाला, पाठा, आमला, गिलोय, खस, दोनों चन्दन, अजवायन, कुटकी–प्रत्येक 4-4 तोला, छोटी और बड़ी इलायची, कूठ, सनाय, हरे, प्रत्येक 76-76 तोला लेकर सबको जौकुट बना लें। फिर एक मटके में 25 सेर 8 तोला पानी डाल कर उसमें यह चूर्ण और 15 सेर गुड़, 40 तोला धाय के फूल तथा 60 पल (3 सेर) मुनक्का डाल कर सन्धान कर दें, और एक माह पश्चात् तैयार होने पर निकाल कर छान कर रख लें। | भै, र.