Purarnavadi Tel

पुनर्नवादि तैल
गुण और उपयोग (Uses and Benefits):
- इस तैल की मालिश करने से शोथ, कामला, पाण्डुरोग, हलीमक, रक्तपित्त, अत्यन्त कठिन महाशोथ, भगन्दर, प्लीहा रोग,उदररोग, जीर्ण ज्वर आदि व्याधियाँ नष्ट होती हैं।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – पुनर्नवा-मूल 5 सेर लेकर 25 सेर 9 छटाँक 3 तोला जल में क्वाथ करें। चतुर्थांश जल शेष रहने पर, उतार कर छान लें। पश्चात् तिल तैल 28 तोला और सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, हण्ड, बहेड़ा, आंवला, काकड़ासिंगी, धनिया, कायफल, कचूर, दारुहल्दी, प्रियंगु, पद्मकाष्ठ, रेणुका, कूठ, पुनर्नवा-मूल, अजवायन, काला जीरा, बड़ी इलायची, दालचीनी (तज), लोध्र, तेजपात, नागकेशर, बच, पीपलामूल, चव्य, चित्रकमूल, सौंफ, नेत्रवाला (खश), मंजीठ, रास्ना और जबासा–प्रत्येक 7-7 तोला लेकर कल्क बना लें। पश्चात-क्वाथ, कल्क, तैल-इन सबको कड़ाही में एकत्र मिला तैल-पाक-विधि से तैल सिद्ध करें, तैल सिद्ध हो जाने पर छान कर सुरक्षित रख लें।
वक्तव्य : द्रवद्वैगुण्य परिभाषा के अनुसार द्रव पदार्थों को द्विगुण लिया गया है।