Phal Ghrit

फल घृत
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :
- इस घृत के सेवन से स्त्रियों के शरीर या कमर में दर्द होना तथा गर्भाशय की कमजोरी दूर होती है।
- इससे गर्भ का पोषण होता है।
- कुछ दिनों तक इसके सेवन से स्त्रियों का आर्त्तवदोष और पुरुषों का वीर्यदोष दूर हो जाता है।
- जिस स्त्री को बराबर गर्भपात होता हो, या मरे हुए अथवा अल्पायु बालक पैदा होते हों, एक बालक हो फिर सन्तानादि न होती हो या गर्भ नहीं रहता हो, तो इस घृत के सेवन से बुद्धिमान, दीर्घायु तथा हृष्ट-पुष्ट बच्चा पैदा होता है।
- अनेक सन्तान-रहित स्त्रियों को इसके सेवन कराने से सन्तान उत्पन्न होते देखा गया है।
- जिस गाय का बछड़ा भी उसी रंग का हो एवं 1 हो उसके घी से बनाने पर विशेष उत्तम गुणकारी बनता है। ऐसा शारंगधर आचार्य का मत है।
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan) :- 6 माशे से 1 तोला, मिश्री का चूर्ण बराबर मिला कर दें और ऊपर से गाय का दूध पिला दें।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – मंजीठ, मुलेठी, कूठ, हर्रे, बहेडा, आँवला, चीनी, अजवायन, हल्दी, दारुहल्दी, घी में सेंकी हुई हींग, कुटकी, नीलोफर, श्वेतकमल फूल, चन्दन, दोनों, मेदा, काकोली, क्षीरकाकोली, मुनक्का, असगन्ध, खरेंटी, काकोली, क्षीर काकोली–त्रत्येक १- तोला लें, कूट छान चूर्ण बना जल में पीस, कल्क बना लें। फिर उस कल्क में गाय का धी 78 तोला, पकार्थं शतावरी रस 52 तोला और गाय का दूध 52 तोला सब को एकत्र मिला कर घृतपाकविधि से पकार्वे। जब छृत मात्र शेष रहे, तब उसे छान कर कांच के बर्तन में भर कर दें! —भै. र.
वक्तव्य: द्रव्य पदार्थों को द्रवद्वैगुण्य परिभाषा के अनुसार द्विगुण लिया गया है। कल्क में लक्ष्मणा (सफेद फूल की कटेरी) की जड़ 1 तोला मिलाने से विशेष गुणकारी बनता है। काकोली और वीर का दो बार उल्लेख है, अतः दो बर ही अर्थात् दुगुना देना चाहिए।