Panchgun Tel

पंचगुण तैल
गुण और उपयोग (Uses and Benefits):
- संधिवात में और शरीर के किसी भी अवयव में शूल (दर्द) में हल्के हाथ से मालिश करें।
- कर्णशूल में कान में डालें।
- सब प्रकार के वर्णों में ब्रण क़ो नीम और सम्भालू की बत्ती के क्वाथ से धोकर, उस पर इस तैल में भिंगोई हुई रुर्ड या स्वच्छ कपड़ा रख, ऊपर से केलापत्ता, समुद्रशोष, धाय-पात अथवा बड़ का पत्ता रख क बाँच लें। यह तैल उत्तम वेदनाहर और व्रण का शोधन तथा रोपण करने वाला है।
- जले हुए स्थान पर लगाने से उसकी जलन शान्त करता और फफोले हो गये हों तो उसको भी ठीक कर देता है।
- चोट-मोच पर भी लगाने से ठीक कर देता है।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – हरीतिकी,बहेड़ा, आँवला–प्रत्येक 5-5 तोला, नीम और सम्भालू की पत्ती–प्रत्येक 75-5 तोला लें, जौकुट करके अठगुने जल में पकावें। जब चौथाई जल बाकी रहे, तब उसमें तिल का तेल 80 तोला, मोम, गन्थाबिरोजा, शिलारस, राल और गूगल–प्रत्येक 4-4 तोला डालकर मन्द आंच पर पकावें। जब पकते-पकते खरपाक होकर तेल अलग हो जाय, तब कपड़े से छान, थोड़ी गरम हालत में उसमें कपूर का मोटा चूर्ण 5 तोला डाल, चमचे से हिलाकर मिला दें। ठण्डा होने पर उसमें तारपीन का तेल, युकेलिप्टस का तेल और केजोपुटी का तेल 2 – 2 तोला मिलाकर शीशी में भर लें। -सि. यो. सं.