Navjwarhar Vati(नवज्वरहर बटी)
नवज्वरहर बटी
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि : शुद्ध पारा, शुद्ध गन्धक, शुद्ध बच्छनाग, सोंठ, काली मिर्च, पीपल, आँवलां, हरे, बहेड़ा, जमालगोटा–प्रत्येक समान भाग लेकर प्रथम पारा-गन्धक की कज्जली बनावे, फिर अन्य दवाओं का कपड़छन चूर्ण मिला सबको एक दिन गूमा के रस में घोंट कर उड़द के बराबर (- रत्ती की) गोलियाँ बना छाया में सुखाकर रख लें। (भा. प्र.)
मात्रा और अनुपान: 4- गोली सुबह-शाम मधु के साथ दें।
गुण और उपयोग :
- यह बटी दीपन-पाचन है। ज्वर की प्रारम्भिक अवस्था में उपवास करने के बाद दोष- पाचन के लिए क्वाथ आदि देने की आवश्यकता होती है। इसमें दोष-पाचन के लिए इस बटी का प्रयोग करने सें दोष-पाचन भी हो जाता तथा ज्वर भी धीरे-धीरे कम होने लगता है।
- यह साधारण रेचक भी है, क्योंकि इसमें जमालगोटा पड़ा हुआ है। अतः बद्धकोष्ठता को भी दूर करने के लिए इसका प्रयोग करना चाहिए।
- अन्य विरेचन योगों की अपेक्षा यह सौम्य है।