Mahavishgarbh Tel

महाविषगर्भ तैल
गुण और उपयोग (Uses and Benefits):
- इस तैल की मालिश से सन्धियों की सूजन
- गृध्रसी
- सिर-दर्द
- समूचे शरीर में हड़फूटन होना
- कान में आवाज होना
- आधा शरीर सूख जाना आदि रोग नष्ट होते हैं।
- यह बहुत प्रसिद्ध तैल है। पुराने वात रोगों में इस तैल की मालिश से बहुत लाभ होता है।
- ज्यादा परिश्रम या रास्ता चलने आदि के कारण शरीर में थकावट मालूम हो अथवा देह अकडती हो
- जम्भाई बार-बार आती-हो
- शरीर में दर्द होता हो
- कभी-कभी ज्यादे सर्दी लग कर शरीर में वायु-सम्बन्धी दर्द होने लगता हो, इन अवस्थाओं में विषगर्भ तैल की मालिश से शीघ्र लाभ होता है।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – मूर्च्छित तिल तेल 5 सेर 8 छटांक, अशुद्ध श्रृंगिक विष, अशुद्ध कुचला, अर्कमूल छाल, एरण्डमूल, धतूर का पंचांग–प्रत्येक 20-20 तोला लेकर कल्क बनावें। इसमें जल 20 सेर मिलाकर, सब द्र॒व्यों को एकत्र मिला, कड़ाही में डालकर तैलपाक-विधि से तैल सिद्ध करें। तैल-पाक-सिद्ध होने पर, उतारकर छान करके सुरक्षित रख लें –आनुभविक योग