Krishnadi Churan

कृष्णादि चूर्ण
पीपल, सोंठ, बेलगिरी, नागरमोथा और अजवायन –प्रत्येक समान भाग लेकर कूट कपड़छन चूर्ण बनाकर रख लें।
मात्रा और अनुपान:
4 से 6 रत्ती, सुबह-शाम तथा दोपहर को शहद और थोड़ा घी मिलाकर दें।
– बृ. नि. र.
कृष्णादि चूर्ण दूसरा
पीपल, अतीस, नागरमोथा और काकड़ासिंगी – प्रत्येक दवा समभाग लेकर चूर्ण करके
रख लें।
मात्रा और अनुपान
3से 6 रत्ती मधु में मिलाकर दिन-रात में 3-4 बार चटावें ।
गुण और उपयोग
– शा. ध. सं.
इसके सेवन से छोटे-छोटे बच्चों की संग्रहणी, अतिसार, दूध न पचना, दर्द होना, ज्वर, सर्दी, खाँसी आदि दूर हो जाते हैं।
पेट फूलना या छोटे-छोटे बच्चों को प्रायः दूध की खराबी से या दाँत निकलते समय फटा-फटा दस्त लगता है। बच्चा दिन-दिन दुबला और कमजोर होता चला जाता है। इसमें दस्त सफेद,खुरदरे और फटे-फटे से आते हैं। कभी पेट भी फूल जाता और दर्द करने लगता है। बच्चों का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाना, ज्यादे रोते ही रहना आदि लक्षण होते हैं। यह अवस्था बच्चों के लिए बहुत भयंकर होती है। कभी-कभी इसी रोग के कारण सूखा रोग भी बच्चे को पकड़ लेता है। अतः इन उपद्रवों से बचाने के लिये कृष्णादि चूर्ण का उपयोग अवश्य करना चाहिए। यह बच्चों की आंतों को मजबूत कर दस्त बांध देता है, जिससे दस्त कम लगते हैं और धीरे- धीरे बच्चा स्वस्थ हो जाता है।