Khadiradi Tel

खदिरादि तैल
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :
- इस तेल के प्रयोग से मुंह का पकना, मसूड़ों का पकना और मवाद (पीब) आना, दाँतों का सड़ना, दाँतों में छिद्र होना, दाँतों में कीड़े लगना, मुँह की दुर्गन्ध तथा जीभ, तालु और होठों के रोग नष्ट हो जाते हैं।
- मुखरोग मुँह में छाले हो जाने पर इस तेल को रूई के फाहे में लगा, छाले पर लगावें और लार नीचे टपकावें। ऐसे दिन भर में 3-4 बार करने से धीरे-धीरे छाले दूर हो जाते हैंl
- इसी तरह मसूढे सड़ने पर कभी-कभी मसूढ़ों का मांस सड़ कर कटने लगता है, जिससे दाँत कमजोर हो जल्दी गिर पड़ते हैं। अथवा पायरिया आदि के कारण मसूढ़ों से खून आने लगता है! इसकी उचित चिकित्सा न करने पर दाँत कमजोर होकर गिर पड़ते हैं।
- दाँतों के छेद में मैल जमा होने अथवा मसूढ़ों में पीब (मवाद) भर जाने से मुंह से दुर्गन्ध आने लगती है। इन विकारों में इस तेल को फाहे से लगाने के बजाय, इस तेल का कुल्ला कराया जाय तो बहुत शीघ्र लाभ होता है।
- तेल को मुंह में डालकर करीब 2-3 मिनट तक मुंह में चारों तरफ चलाते रहें, फिर कुल्ला कर दें। इस विधि .से बहुत शीघ्र लाभ होता है।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – खैर की छाल 2 सेर, मौलसरी की छाल 2 सेर–दोनों को कूटकर 25 सेर 8 तोला जल में पकावें। जब 6 सेर 8 छटांक 2 तोला जल बाकी रहे, तब कपड़े से छान उसमें 28 तोला तिल तेल मिलावें। फिर खैर की छाल, गेरू, लौंग, अगर, पद्माख, मंजीठ लोध्र, मुलेठी, लाख, बड़ की छाल, नागरमोथा, दालचीनी, जायफल, कबाबचीनी, अकरकरा, पतंग, धाय के फूल, छोटी इलायची, नागकेशर और कायफल–प्रत्येक 7-7 तोला लें। इनका कल्क बना तैल पाक-विधि से मन्दाग्नि पर तेल सिद्ध कर लें। जब तेल सिद्ध हो जाय, तब ठण्डा होने पर उसमें तोला कपूर का चूर्ण मिला, कपड़े से छान लें। -सि.यो.सं.