Kashisadi TEL

कासीसादि तैल
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :
- आचार्य श्री खरनाथ जी ने अर्शाकुरों का नाश करने के लिए इस तैंल को श्रेष्ठ कहा है।
- इस तैल को अर्शाकुरों पर लगाने से समस्त प्रकार के अर्शरोग नष्ट होते हैं।
- इस तैल के क्षारत्व गुण के कारण इसके लगाने से बवासीर शीघ्र नष्ट हो जाती है।
- यह तैल क्षार कर्म की तरह बवासीर के मस्सों को काटकर गिरा देता है।
- जो गुदवलियाँ अर्श के कारण दूषित हो जाती हैं, उन्हीं पर इस तैल का प्रभाव होता है, तथा गुदवलियों को किस प्रकार की हानि नहीं पहुंचती।
- इसके अतिरिक्त दुषटव्रणों में भी इस तैल का प्रयोग करने से लाभ होता है।
- यह तैल ब्रणों का शोधन एवं रोपण करता हैं।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – कसीस, कलिहारीमूल, कूठ, सोंठ, पीपल, सेंधानमक, मैनसिल, कनेरमूल, वायविडंग, _ चित्रक मूल, वासा मूल, दन्तीमूल, कड़वी तोरी के बीज, सत्यानाशी मूल, हरिताल–ये प्रत्येक द्रव्य -4 तोला लेकर कल्क बनावें फिर तिल तैल 64 तोला, थूहर का दूध 8 तोला, आक का दूध 8 तोला, गोमूत्र 253 तोला, लेकर सबको एकत्र मिला पाक विधि से तैल पाक करें। तैल सिद्ध हो जाने पर, छान कर सुरक्षित रखें। | –शा. सं.