Karkati Beej Churan
कर्कटी बीज चूर्ण:
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि:
ककड़ी के बीज, सेंधा नमक और त्रिफला सब चीजें समान भाग लेकर महीन चूर्ण बना, सुरक्षित रख लें।
मात्रा और अनुपान:
3 माशा की मात्रा में सुबह-शाम गरम जल के साथ दें।
गुण और उपयोग:
– वृ. नि. र.
यह चूर्ण पित्तशामक तथा मूत्र-प्रवर्तक है। कभी-कभी पित्त की अधिकता के कारण मूत्रनली में उचित परिमाण में मूत्र नहीं आता अथवा खुल कर पेशाब नहीं आता। बूँद-बूँद कर पेशाब आता है। इसमें बस्ति प्रदेश में दर्द होना, पेडू में सूजन, जननेन्द्रिय की नसों में खिंचावट, दर्द से व्याकुलता, प्यास, कण्ठ सूखना आदि लक्षण होते हैं। ऐसी दशा में इस चूर्ण के उपयोग से पित्त शान्त हो, मूत्र खुल कर आने लगता है।
नोट
इसमें सेंधा नमक के स्थान पर यवक्षार और मिश्री समभाग में मिलाकर प्रयोग किया जाय तो बहुत लाभ करता है। साथ ही कलमी शोरा को ठण्डे जल में पीस कर नाभि के नीचे बस्ति प्रदेश पर मोटा-सा लेप भी करना अच्छा है।