Jatiyadi Ghrit

जात्यादि घृत ( मरहम )
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :
- यह घृत नाड़ीव्रण (नासूर), पीड़ायुक्त व्रण और जिस व्रण से रक्त. निकलता रहता हो, उस व्रण को तथा मकड़ी के घाव, अग्नि से जलने तथा गहरे घाव भी ठीक करता है।
- इसको मरहम की भाँति लगाने से मर्मस्थानों के घाव, पीवयुक्त और अधिक फोड़ायुक्त घाव आदि भरकर अच्छे हो जाते हैं।
मात्रा और अनुपान (Dose and Anupan) :- इसको मरहम की तरह फोड़ा-फुन्सी, नाड़ीप्रण आदि पर लगाने से उत्तम लाभ करता है।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – चमेली के पत्ते, नीम के पत्ते, परवल के पत्ते, हल्दी, दारुहल्दी, कुटकी, मंजीठ, मुलेठी, मोम, करंज की गिरी, खस, अनन्तमूल और तूतिया–इन सबको समान भाग लें, कल्क बनावें। कल्क से चौगुना घृत और घृत से चौगुना जल डाल कर पकावें।
वक्तव्य कल्क द्रव्यो को कपड़छन कर, घृत में मिलाकर, एक सप्ताह धूप में रखकर, पश्चात् कल्क द्रव्यो सहित घृत को पात्र में भरकर रख लें।