Grabhvilas Tel

गर्भविलास तैल
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :
- गर्भावस्था में कभी-कभी गर्भिणी के पेट में दर्द होने लगता है। उस समय दर्द शान्त करने के लिये कोई दवा खिला नहीं सकते, ऐसी दशा में इस तेल की मालिश धीरे-धीरे पेट पर तथा पेट के चारों तरफ करने से दर्द बन्द हो जाता है।
- कभी-कभी गर्भावस्था में योनि द्वारा खून निकलने लगता है। यह बहुत खतरनाक बीमारी है। इससे गर्भ कमजोर होकर बच्चा असमय में ही बाहर निकल आता हैं। इसी को गर्भ्राव या गर्भपात कहते हैं। ऐसी हालत में रूई की एक मोटी बत्ती बना, इस तेल में डुबोकर, योनिमार्ग द्वारा गर्भाशय में रखने से रक्तस्राव रुक जाता है। फिर गर्भपात या गर्भख्नाव होने का डर नहीं रहता। यह प्रयोग लगातार कम-से-कम एक सप्ताह करना चाहिए। |
- इस तेल की बराबर मालिश करने से गर्भ पुष्ट होता है और बच्चा हृष्ट-पुष्ट तथा चिरायु उत्पन्न होता है।
- गर्भिणी के लिये यह तेल बहुत उपयोगी है।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – विदारीकन्द, अनार के पत्ते, हल्दी, हरड़, बहेड़ा, आँवला, सिंघाड़े के फ्ते, चमेली के फूल, शतावर, नीलकमल और सफेद कमल–इन सबको समान भाग लेकर 4 छटाँक लें कल्क बनाकर, तिल तेल 2 सेर को जल 8 सेर से सिद्ध कर लें। पाक सिद्ध होने पर छान कर रख लें। |
वक्तव्य : द्रवद्वैगुण्य परिभाषा के अनुसार द्रव पदार्थो को द्विगुण लिया गया है।