Dashmool Tel

दशमूल तैल
गुण और उपयोग (Uses and Benefits) :
- इस तैल की मालिश करने से समस्त प्रकार के शिरो रोग एवं वात रोगों से शीघ्र लाभ होता है तथा अस्थिगत, सन्धिगत और कफ प्रधान रोग नष्ट होते हैं।
- इसके अतिरिक्त कान या नाक के दर्द में भी 3-4 बूँद डालने से अच्छा लाभ होता हैं।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – मूर्च्छित कडुवा तैल 1 सेर 9 छटाँक 3 तोला लें और दशमूल 6 तोला लेकर उसका कल्क बनावें। पश्चात् दशमूल । सेर 9 छटाँक 3 तोला लेकर 42 सेर 2 छटांक 4 तोला जल में डालकर क्वाथ बनावें। जब चतुर्थांश जल शेष रहे, तो उतार कर छान लें, पश्चात् निर्गुण्डी-पत्र-स्वरस 3 सेर 3 छटाँक तोला और तैल, कल्क, क्वाथ सब को कड़ाही में एकत्र मिलाकर यथाविधि तैल सिद्ध करें। तैल सिद्ध हो जाने पर उतार कर छान लें और सुरक्षित रख लें। वक्तव्य : द्रवद्गैगुण्य परिभाषा के अनुसार द्रव पदार्थो को द्विगुण लिया गया है। निर्गुण्डी-पत्र-स्वरस के अभाव में निर्गुण्डी पत्र या पंचाँग 3 सेर 3 छटाँक । तोला को 42 सेर 2 छटॉक 4 तोला जल में क्वाथ करें। चतुर्थांश अर्थात् 3 सेर 3 छटाँक तोला क्वाथ शेष रहने पर छानकर डालें।