Brihat Vishnu Tel

बृहद् विष्णु तैल
गुण और उपयोग (Uses and Benefits):
- इस तैल की मालिश से वातव्याधि से पीड़ित हाथी, घोड़े तक भी अच्छे हो जाते हैं।
- विशेष शुक्रपात होने अथवा छोटी आयु में अप्राकृतिक ढंग से शुक्र का नाश करने से यदि शुक्रवाहिनी नाड़ियाँ कमजोर हों, नपुंसकता उत्पन्न हो गयी हो, तो इस तैल की मालिश से वह भी दूर हो जाती हे।
- इसके अतिरिक्त, यह तैल हच्छूल, पाश्वशूल, अर्धावभेदक, पाण्डु कामला, राजयक्ष्मा, लकवा और वातरक्त को भी नष्ट करता है।
- जो पुरुष जवान होते हुए शुक्र की कमी के कारण अपने को बुड़ा समझते हों, उन्हें भी इस तैल की मालिश से बहुत लाभ होता है।
- जिन स्त्रियों के सन्तान नहीं होती हो, उन्हें इस तैल का अवश्य सेवन करना चाहिए।
- इस तैल की मालिश से गर्भाशय सशक्त हो गर्भ धारण करता है।
- यदि गर्भ गिर जाता हो, तो विशेषकर पेडू तथा पेट के आस-पास एवं जांघों में इस तैल की मालिश करें और रूई के फाहे में इस तैल को भिंगो कर योनि में गर्भाशयं के मुख पर रखें।
- इस तरह एक सप्ताह तक फाहा रखने से फिर गर्भ गिरने का डर नहीं रहता है।
मुख्य सामग्री तथा बनाने विधि ( Main Ingredients and Method of Preparation): – असगन्ध, नागरमोथा, जीवक, ऋषभक, कचूर, काकोली, क्षीरकाकोली, जीवन्ती, मुलेठी सौंफ, देवदारु, पद्मकाछ, छरीला, जटामांसी, इलायची बड़ी, दालचीनी (तज), कूठ, बच लाल चन्दन, केशर, मंजीठ, गस्तूरी (अभाव में लताकस्तूरी), श्वेतचन्दन, रेणुका, माषपर्णी कुन्दरूगोंद, मुद्गपर्णी, गठिवन, नरवी–ये प्रत्येक द्रव्य 1- 1 पल (4-4 तोला) लेकर इनका कल्क बनावें। पश्चात् तिलं तेल 2 आढक (6 सेर 32 तोला), शतावर रस 2 आढक गोदुग्ध 5 आढक और पाकार्थ जल 2 श्वेण (25 सेर 8 तोला) लेकर सबको एकत्र मिला, तैल पाक-विधि से तैलपाक करें। पाक सिद्ध होने पर तैल को उतार कर छान लें और सुरक्षित रखें। —भै. र. वक्तव्य
द्रवद्वैगुण्य परिभाषा के अनुसार द्रव पदार्थों को द्विगुण लिया गया है। केशर और कस्तूरी को खरल में महीन पीसकर तैल पाक सिद्ध होने पर, छानने के बाद मिलाकर तैल को पात्र में भरकर, पात्र का मुख अच्छी तरह ढककर, सुरक्षित रखना चाहिए ताकि गन्ध उड़ने नहीं पाये।